शराबबंदी से प्रदेश में आए सामाजिक-आर्थिक बदलाव का अध्ययन अब बिहार सरकार कराएगी। इसकी जिम्मेवारी चाणक्य राष्ट्रीय विधि संस्थान की पंचायती राज पीठ को दी गई है। संस्थान की ओर से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में सर्वेक्षण कर निष्कर्ष तक पहुंचने की कवायद की जाएगी। इसकी रिपोर्ट दो महीने में आने की संभावना है।
30 लाख रुपये खर्च करने की योजना
एएन सिन्हा संस्थान भी इस बारे में अध्ययन रिपोर्ट बनाने में सहयोग करेगा। इस पर करीब 30 लाख रुपये खर्च करने की योजना है। सर्वे टीम देखेगी की लोगों की जीवनशैली में क्या बदलाव हुए, महिलाओं की स्थिति कितनी सुधरी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या सुधार हुए। शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव के बारे में भी तथ्य जुटाए जाएंगे। मालूम हो कि राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 में भी आद्री की मदद से शराबबंदी के बाद आए बदलावों को लेकर सर्वे किया था।
संदिग्ध स्थानों के होंगे सर्वे
नालंदा कांड की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार जहरीली शराब बनने वाले संदिग्ध स्थानों के सर्वे होंगे। इसके लिए सभी जिलों को निर्देश जारी किया गया है। मैपिंग में उन स्थानों को चिह्नित किया जाना है, जहां स्थानीय स्तर पर अवैध रूप से शराब बनाकर बेचे जाते हैं। राज्य में ऐसे कई स्थान हैं जहां अवैध तरीके से शराब बनाकर बेचने की सूचना मिलती है और वहां कार्रवाई भी होती है, लेकिन फिर धंधा शुरू हो जाता है।
संदिग्ध स्थान को अतिक्रमण मुक्त
नालंदा में विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने छोटी पहाड़ी और पहाड़ तल्ली को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं। इसी तरह राज्य में जहां भी संदिग्ध स्थान चिह्नित किया जाएगा, वहां अतिक्रमण मुक्त करवाया जाएगा।
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