इस बार भी यूपी की गद्दी युवा की मुट्ठी में है। वही युवा 18 से 30 साल वालों की। प्रदेश के 26% वोटर यही तो हैं। ये वो उम्र है जब यूथ जिंदगी का फैसला करता है। इसलिए ये लोग डिसीजन के मूड में रहते हैं। ये डरते नहीं हैं कि फैसला गलत होगा या सही। इसलिए जिसके साथ होते हैं, पूरे तरीके से होते हैं और जिसके नहीं होते, बिल्कुल नहीं होते।
इसीलिए यूपी की चारों पार्टियों की दिल की धड़कने तेज़ हो गई है। रोज यूथ के लिए नई-नई घोषणाएं। क्योंकि वे जानते हैं, 2007, 2012 और 2017 में क्या हुआ था। कहानी में आगे बढ़ते है l
मायावती की 2007 की कहानी
5 साल में सिर्फ 91 हजार नौकरी देने की भूल की
अप्रैल-मई का महीना। मयावाती घूम-घूमकर कह रही थीं, ‘पंडित शंख बजाएगा हाथी बढ़ता जाएगा। हाथी नहीं गणेश है ब्रह्मा-विष्णु-महेश है। युवाओं निकलो, ये वक्त तुमारा है।’ माया ने प्रदेश के युवाओं को आवाज लगाई कि जाति के दलदल से निकलो। हाथी से हाथ मिलाओ और युवाओं ने मिला लिया। हालांकि, जब मायावती ने काम शुरू किया तो दिन-ब-दिन उनके जेहन से यूथ निकलता गया। पांच साल बीत गए। मायावती से ढंग की एक योजना नहीं लॉन्च की, जो पूरी तरह से 18 साल से 30 साल के लिए हो। पूरे कार्यकाल में सरकारी नौकरियां भी केवल 91 हजार को ही दी गईं।
नतीजा सब जानते हैं। जिस मायावती ने 2007 में 403 में से 206 सीटें जीती थीं, वहीं 2012 में सिर्फ 80 सीट पर सिमट गईं। नतीजन, एक बार जो माया को यूथ ने गिराया, फिर आज तक वो उठ नहीं पाई हैं। आज उनकी पार्टी की बस 19 सीटें रह गई हैं।
मुलायम की 2012 की कहानी
मुलायम ने समझ लिया, सत्ता में रहना है तो यूथ से टक्कर नहीं
2012 के चुनाव प्रचार चल रहे थे। मुलायम को एक गणित साफ समझ आ गया था। तब यूपी में 3.8 करोड़ वोटर 18 से 30 साल के बीच के थे। सपा ने मेनिफेस्टो लॉन्च किया। इसमें लिखा था, ‘10वीं के बच्चों को टैबलेट और 12वीं पास करने वालों को लैपटॉप। ग्रेजुएशन तक लड़कियों को फ्री में एजुकेशन। हर साल 12 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता।’
2012 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया तो सपा 224 सीट जीत चुकी थी। मुलायम ने गद्दी अखिलेश को दे दी। ये कहके कि प्रदेश को एक युवा सीएम चाहिए। कार्यकर्ताओं ने गाना बनाया- यूपी का सबसे युवा सीएम आ गया है, लेकिन काम उन्होंने अपने बूढ़े बाप से भी कमजोर किया। सपा ने पूरे कार्यकाल में उंगली पर गिनने भर के 10वीं के बच्चों को टैबलेट दिया। आज तक वो इसका सही डाटा नहीं बता पाए कि कितने टैब बांटे। 12वीं वालों को एक साल लैपटॉप बांटे। फिर कहे कि सिर्फ टॉपर्स को देंगे। 2012 से 2017 के बीच सिर्फ 2 लाख युवाओं को ही सरकारी नौकरी मिली। ये भूल सपा को भारी पड़ गई। जब 2017 चुनाव का रिजल्ट आया तो सपा सिर्फ 47 सीट पर अटक गई।
…और युवाओं ने अखिलेश को ऐसी धोबी पछाड़ मारी कि आज तक कूल्हे दर्द उस दर्द से उबर नहीं पाये l
योगी की 2017 की कहानी
‘एक बूथ पांच यूथ का नारा’- यूथ का दिल जीत लिया
2017 का विधानसभा चुनाव, बीजेपी ने भांप लिया था। सत्ता चाहिए तो यूथ को पकड़ो। दो नारे दिए- यूथ जिताएगा बूथ और एक बूथ पांच यूथ। इसने यूथ का दिल जीत लिया। मोदी जी ने पहले से देश के 2 करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वायदा कर रखा था। उसी लाइन को अमित शाह और बड़ी करते गए। 2017 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया तो पता है, बीजेपी 403 में से 312 सीटें जीत ली थीं।
रिजल्ट के बाद बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बना दिया। कहने को वो भी युवा हैं। 4 लाख युवाओं को नौकरी देने का दावा करते हैं। 4 जनवरी 2022 की बात है। शहर प्रयागराज। मोहल्ला सलोरी। रात के कुछ 12 बजे होंगे। कड़ाके की ठंड और अंधेरी रात। अचानक ताली-थाली की आवाज गूंजने लगी। वैसे ही जैसे लॉकडाउन में मोदीजी ने बजवाए थे। पर इस बार बात बहुत अलग थी। मुद्दा था बेरोजगारी का।
सैकड़ों बेरोजगार युवा अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर थे। सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं लखनऊ जैसे यूपी के और शहरों में भी 4-5 महीनों से युवा नौकरी की लगातार मांग कर रहे हैं। साथ ही बार-बार एग्जाम्स के पेपर्स लीक होने पर भी सरकार से सवाल कर रहे हैं।
अब इस बार यूथ क्या करेगा, इसका जवाब 10 मार्च देगा। तब तक… Wait and Watch !
डैमेज कंट्रोल पर बीजेपी, सपा-बसपा रोज नए ऐलान
बीजेपी ने यूथ ब्रिगेड टीम को नवंबर से ही यूपी में काम पर लगा रखा है। रवि किशन, गौतम गंभीर, बबीता फोगाट और तेजस्वी सूर्या इसमें रात-दिन एक किए हुए हैं। आखिरी मोमेंट पर बीजेपी ने 1 लाख छात्रों को स्मार्टफोन और टैबलेट दिए हैं। लेकिन ये एकदम 2017 के वक्त की सपा की याद दिलाता है। नीचे ग्राफिक में हमने इस बार के सभी पार्टियों के वायदे लिख दिए हैं।
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