हाल के दिनों मे कुवैत के अख़बार अल-जरिदा ने गल्फ़ अरब प्रतिनिधिमंडल के चीन जाने पर लिखा है कि चीन की दिलचस्पी खाड़ी के देशों में बढ़ रही है. जरिदा ने लिखा है, ”जब तेल की क़ीमत बढ़ रही है और अमेरिका के साथ खाड़ी देशों के संबंधों में गर्मजोशी कम हुई है, तब चीन की दिलचस्पी बढ़ती दिख रही है. कोविड महामारी में तेल की आपूर्ति को लेकर चीन कोई जोखिम नहीं लेना चाहता है.”
कुवैत के एक जाने-माने विश्लेषक और विद्वान अब्दुल्लाह अल-शायजी ने जीसीसी प्रतिनिधिमंडल के चीन दौरे को लेकर कई ट्वीट किए हैं. उन्होंने लिखा है, ”अमेरिका की प्राथमिकता आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध से अब चीन और रूस से टकराव की ओर शिफ़्ट हो गया है. इसी का नतीजा है कि 2022 में खाड़ी के देशों में अमेरिका की स्थिति कमज़ोर हुई है. हालांकि अमेरिका ने मध्य-पूर्व से अभी बोरिया-बिस्तर नहीं समेटा है. इसी का नतीजा है कि खाड़ी के देश हालात को देखते हुए अपनी सुरक्षा से जुड़े विकल्पों को विस्तार दे रहे हैं.”
ईरानी विदेश मंत्री ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि पिछले साल ‘ईरान-चाइना 25-इयर कोऑपरेशन प्रोग्राम’ पर हस्ताक्षर हुआ था
चीन ने 14 जनवरी को ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमिराब्दोल्लाहिअन की आगवानी की थी. हुसैन का यह पहला चीन दौरा था.चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाक़ात के बाद ईरानी विदेश मंत्री ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि पिछले साल ‘ईरान-चाइना 25-इयर कोऑपरेशन प्रोग्राम’ पर हस्ताक्षर हुआ था और अब इसे लागू करने की बारी है. चीन ने इससे पहले ओमान और क़तर के विदेश मंत्री की आगवानी की थी. इसके अलावा गल्फ़ अरब देशों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया था. सऊदी अरब के विदेश मंत्री 10 जनवरी को चीनी विदेश मंत्री से मिले थे. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग और बढ़ाने पर बात हुई थी.
खाड़ी के देशों से तेल ख़रीदने में चीन बड़ा ग्राहक है.
प्रिंस फ़ैसल बिन फ़रहान अल-साउद (गल्फ़ कोऑपरेशन काउंसिल) जीसीसी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे. इसमें बहरीन, कुवैत और ओमान के भी विदेश मंत्री शामिल थे. चीन का जीसीसी देशों और ईरान से सहयोग तब बढ़ रहा है, जब ईरान और अमेरिका में तनाव है और साथ ही कहा जा रहा है कि अमेरिका मध्य-पूर्व में अपनी दिलचस्पी कम कर रहा है. सऊदी अरब भी चीन के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ा रहा है. खाड़ी के देशों से तेल ख़रीदने में चीन बड़ा ग्राहक है. मध्य-पूर्व से अमेरिका की कथित वापसी की धारणा के बीच सऊदी अरब भी नए विकल्पों की ओर बढ़ रहा है. जीसीसी और चीन के बीच मुक्त बाज़ार व्यवस्था की बात चल रही है.
अरब ने चीनी सैन्य तकनीक के ज़रिए बैलिस्टिक मिसाइल बनाना शुरू किया है.
अमेरिका को इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का अंदाज़ा है. अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नलके अनुसार ऐसी ख़बर है कि अमेरिका ने यूएई को अबूधाबी के पास चीनी सैन्य ठिकाना नहीं बनाने देने के लिए मनाया था. हालाँकि यूएई ने हाल ही में अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान के सौदे को भी रद्द कर दिया था.कहा जा रहा है कि अमेरिका यूएई पर चीनी कंपनी ख़्वावे से अनुबंध रद्द करने का दबाव डाल रहा था. वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार ये भी रिपोर्ट आ रही है कि सऊदी अरब ने चीनी सैन्य तकनीक के ज़रिए बैलिस्टिक मिसाइल बनाना शुरू किया है.
जीसीसी और चीन के साझे बयान को चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने काफ़ी अहम बताया है. जीसीसी के महासचिव के साथ मध्य-पूर्व के चार देश सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और बहरीन के विदेश मंत्री भी चीन में हैं. ये सभी सोमवार को चीन पहुँचे थे और शुक्रवार तक रहेंगे.ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, मध्य-पूर्व मामलों के चीनी विश्लेषकों ने इस दौरे को ऐतिहासिक और अप्रत्याशित बताया है. ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, जीसीसी देशों का इस तरह का यह पहला चीन दौरा है. चीनी अख़बार ने लिखा है कि कोविड-19 संक्रमण और बीजिंग विंटर ओलंपिक के बीच यह बहुत ही ख़ास दौरा है. ग्लोबल टाइम्स ने इसे रणनीतिक रूप से काफ़ी अहम बताया है.
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