झारखंड में धान खरीदने के लिए 562 धान क्रय केंद्र बनाए गए थे. पर इनमें से अधिकांश धान खरीद केंद्र एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी नहीं खुल पाए थे.
एमएसपी पर धान नहीं बेचकर औने-पौने दामों में बिचौलियों को धान बेच रहे हैं. झारखंड सरकार ने वर्ष इस के लिए आठ लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य (Paddy Procurement Target) रखा था. पर धान खरीद शुरू होने के 15 दिन बाद भी 3.38 लाख क्विंटल ही धान खरीद हो पायी है जो लक्ष्य आठ लाख मीट्रिक टन का मात्र चार फीसदी है.
झारखंड में एमएसपी पर किसानों से धान की खरीद 15 दिसंबर से शुरु की गई थी
15 दिसंबर को झारखंड में एमएसपी पर किसानों से धान की खरीद की गई थी. धान खरीद शुरू होने के बाद से ही राज्य के विभिन्न जिलों से शिकायतें आने लगी की कई केंद्रों में धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है. इसके कारण किसान बिचौलियों को धान बेचने के लिए मजबूर हैं. राज्य सरकार ने धान खरीद के लिए 2050 रुपए प्रति क्विटल की एमएसपी तय की थी.
जबकि बिचौलिए किसानों से 1100-1300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच धान खरीद रहे हैं. इससे राज्य के किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. हालांकि यह बातें भी सामने आ रही हैं कि किसान लैम्पस, पैक्स या धान खरीद केंद्र में धान बेचना नहीं चाहते हैं.
समय पर नहीं मिलता है पैसा
झारखंड के रांची, रामगढ़, हजारीबाग गुमला समेत कई जिलों के किसान बताते हैं कि वो धान क्रय केंद्रों में धान नहीं बेचना चाहते हैं, क्योंकि लैम्पस (LAMPS) में धान बेचने पर समय पर पैसे नहीं मिलते है. जबकि बिचौलियों के पास से उन्हें नगद पैसे मिल जाते हैं.
अधिकांश किसान बताते हैं कि उन्हेंं धान बेचकर दूसरी फसल खेतो में लगानी होती है, पर सही समय पर पैसे नहीं मिल पाने के कारण उन्हें दूसरी फसल लगाने में परेशानी होती है. हाल ही में मांडर प्रखंड के ब्राम्बे स्थित लैंपस में कई किसानों ने आकर प्रदर्शन किया था. उनका कहना था कि एक साल बीत जाने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिल पाए हैं. हालांकि इस बार राज्य सरकार ने यह प्रावधान रखा था कि किसानों को तुरंत ही 50 फीसदी राशि का भुगतान कर दिया जाएगा.
लैम्पस की दूरी
धान खरीद के लिए प्रत्येक प्रखंड में धान खरीद केंद्र बनाए गए हैं. कई केंद्र किसानों के घर से 25-30 किलोमीटर की दूरी पर हैं. इसके कारण किसानों को अपना धान क्रय केंद्रों तक लाने में परेशानी होती है. कई बार जब किसान मैसेज आने के बाद लैम्पस में धान लेकर पहुंचते हैं तो उन्हें कई प्रकार के बहाने बनाकर वापस लौटा दिया जाता है. इसके कारण किसान काफी निराश होते हैं. इसके अलावा धान लाने में उनके पैसे अलग से खर्च होते हैं.
धान क्रय केंद्रों में धान खरीद में देरी
गढ़वा, पलामू, हजारीबाग, कोडरमा जिलों से यह शिकायतें आई है कि इन जिलों में धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है या काफी देर से शुरू हुई है. इसके कारण किसान परेशान होकर बिचौलियों को धान बेच देते हैं. कई जगहों के किसान यह भी बताते हैं कि लैम्पस के गोदाम में धान भर जाने के कारण किसानों से धान नहीं लिया जाता है. इसके अलावा किसान धान खरीद की कागजी प्रक्रिया में नहीं जाना चाहते हैं.
किसानों में अविश्वास
हाल ही में खाद्य आपूर्ति विभाग ने यह घोषणा की थी कि इस बार राज्य के हजारों किसानों के राशन कार्ड रद्द किए जाएंगे. जिन्होंने पिछले 51 क्विंटल से अधिक 200 क्विंटल तक धान की बिक्री लैम्पस में की थी. सरकार की इस घोषणा के बाद किसान डरे हुए हैं. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक खूंटी के किसानों का कहना था वो लैम्पस में धान की बिक्री इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनका भी राशन कार्ड रद्द हो सकता है. इन्ही सब कारणों से धान खरीद में झारखंड लगभग एक महीन बीत जाने के बाद भी काफी पीछे हैं.
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