जानकारों का कहना है कि श्रीलंका के आर्थिक संकट की शुरुआत दो वर्ष पहले हुई थी। तब से खाने के तेल, चावल, रसोई गैस की कीमतें बढ़ती चली गई हैं। अब ये चीजें इतनी महंगी हो गई हैं कि आम परिवारों के लिए उन्हें खरीदना कठिन हो गया है। विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव की वजह से श्रीलंका बड़े पैमाने पर आयात कर इन चीजों की महंगाई दूर करने में अक्षम बना रहा है। इसी बीच अब कर्ज चुकाने का समय आ गया है।
श्रीलंका सरकार पर 35 बिलियन डॉलर का कर्ज है, जिसमें चीन के कर्ज का हिस्सा सिर्फ दस फीसदी है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी की श्रीलंका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति राजपक्षे ने चीन से कर्ज चुकाने की अवधि में राहत मांगी थी। लेकिन अभी तक चीन ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अगर चीन ने श्रीलंका का अनुरोध माना, तब भी उससे सीमित राहत ही मिलेगी। इसलिए कि श्रीलंका सरकार पर 35 बिलियन डॉलर का कर्ज है, जिसमें चीन के कर्ज का हिस्सा सिर्फ दस फीसदी है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि जनवरी के आखिर तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो जाएगा।
जानकारों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष बेलआउट पैकेज देने पर राजी हो, तो श्रीलंका को असल में कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन आईएमएफ की मदद लेने के सवाल पर देश में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान छिड़ा हुआ है। विश्लेषकों का अनुमान है कि जनवरी के आखिर तक श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो जाएगा। फरवरी में लगभग 44 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त विदेशी मुद्रा की जरूरत होगी, जिसका अभी कोई इंतजाम नहीं दिखता। इसके बीच अगर चीन ने कर्ज भुगतान की अवधि बढ़ाई, तो फरवरी की समस्या दूर हो सकती है।
सरकार ने देश के लोगों के लिए एक राहत पैकेज का एलान करते हुए रेटिंग एजेंसियों की तरफ लगाए जा रहे इन अनुमानों को बेबुनियाद बताया कि जल्द ही श्रीलंका दिवालियेपन का शिकार हो जाएगा.लेकिन ये बात जान श्रीलंका सरकार को अगले 12 महीनों में 7.3 बिलियन डॉलर का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है। उनमें 50 करोड़ डॉलर के सॉवरेन बॉन्ड भी हैं, जिन्हें इसी महीने के आखिर तक चुकाना है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसी संकट की वजह से हाल में श्रीलंका सरकार ने बस्ताचीन से कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ाने की गुजारिश की और भारत से आर्थिक सहायता मांगी।
श्रीलंका के संकट की असली वजह कोरोना महामारी के कारण पर्यटन उद्योग का ढह जाना भी है। यही उद्योग श्रीलंका के लिए विदेशी मुद्रा का मुख्य स्रोत है। पर्यटन उद्योग ठप होने की वजह से 2020 में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था 3.6 फीसदी सिकुड़ गई थी। 2021 में जब अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर थी, तभी राजपक्षे सरकार ने खेती में रासायनिक खादों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। इससे अनाज का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। नतीजतन, संकट और बढ़ गया। विश्व बैंक का अनुमान है कि कोरोना महामारी आने के बाद से श्रीलंका में मध्य वर्ग के पांच लाख लोग वापस गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं।
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