कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, बढ़ते केस को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्तमान में लागू की गई पाबंदी को आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। झारखंड में अभी सरकार की ओर से कई पाबंदियां लगाई गई है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि इसमें से अधिकांश मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ रही है।
रविवार की दोपहर तक की बात करें तो कुल एक्टिव केस सात हजार 752 है। इसमें सिर्फ 289 मरीज हीं शहर के विभिन्न कोविड अस्पतालों में भर्ती हैं। यानी 3.72 प्रतिशत।
वहीं, 96.28 प्रतिशत मरीजों का इलाज होम आइसोलेशन में चल रहा है। इन सभी मरीजों की निगरानी की जा रही है। तीसरी लहर को लेकर जो संभावना जताई जा रही थी और जिस हिसाब से अस्पतालों में बेड बढ़ाई गई है उसमें से अधिकांश खाली पड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रोन डेल्टा के मुकाबले काफी कमजोर है।
ओमिक्रोन फ्लू ही तरह है। सामान्य सर्दी-खांसी व बुखार की तरह हो रहा है और चार से पांच दिनों में मरीज ठीक हो जा रहा है। कोविड से ग्रस्त मरीजों का इलाज टीएमएच, एमजीएम, टाटा मोटर्स अस्पताल, मर्सी सहित अन्य अस्पतालों में चल रहा है।
आक्सीजन पर 13 व वेंटिलेटर पर चार मरीज भर्ती
कोरोना मरीजों में इस बार सांस की परेशानी बहुत कम हो रही है। अस्पताल में भर्ती कुल 289 मरीजों में से 13 आक्सीजन व चार वेंटिलेटर पर हैं। बाकी 272 मरीजों का इलाज सामान्य ढंग से चल रहा है। जबकि दूसरी लहर में यह स्थिति नहीं थी। अधिकांश मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उसका आक्सीजन लेवल तेजी से गिर रहा था। इससे उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराने की जररूत पड़ रही थी। इस दौरान कई मरीजों को समय पर आक्सीजन नहीं मिल सका और उनकी जान इलाज के अभाव में चली गई। चूंकि मरीजों की संख्या इतनी अधिक थी कि अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा था।
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