गांव में मनुष्य व जानवर हों, इसके लिए माघ मास के दूसरे दिन निभाते हैं यह परंपरा
किया जाता है नकारात्मक ऊर्जा का त्याग
मकर और टुसु परब के बाद कुड़मालि नया साल में पहला बांग्ला महीना माघ के पहले दिन ग्रामीण अपने घरों में साल भर उपयोग करने वाले बांस आदि के उपकरणों का विसर्जन कर राख, ठुटका झाड़ू (आधा घिसा हुआ झाड़ू), चूल्हा का राख और एक लौटा पानी डालकर तथा पिछले साल की कुछ नकारात्मक ऊर्जा गांव की सीमा से बाहर निकालने के लिए करते हैं बोड़ाम बाटिया. रविवार यानि आज 16 जनवरी को उसी परंपरा का ग्रामीणों ने निर्वहण यहां छोटानागपुर के अलग-अलग हिस्सों के साथ-साथ पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा और बोड़ाम क्षेत्र में किया.
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…ताकि गांव के मनुष्य और जानवर सुरक्षित रहें
ग्रामीण जन सबसे पहले गांव के एक छोर से दूसरे छोर तक पुराने उपकरणों को इकट्ठा करते हैं. इसके बाद ग्रामीण जन मिलकर रीति-रिवाज के साथ गांव के अंतिम सीमा पर पुराने उपकरणों को फेंक देते हैं. साथ ही साथ ही नकारात्मक ऊर्जा के रूप में जिन्दा मुर्गा के बच्चे को प्रतीकात्मक रूप से उड़ाकर उसे छोड़ दिया जाता है. इस दौरान ग्राम देवता से कामना की जाती है कि गांव के मनुष्य और जानवर सुरक्षित रहें. साथ ही कृषि कार्य तथा सभी प्रकार के सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करते और अंत में सभी मिलकर वनभोज कर उत्सव मनाते हैं.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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