विधानसभा चुनावों के दौरान बेरोजगारी भत्ता दिए जाने का वादा अब के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनता से किया था.
अपने इस चुनावी वादे को पूरा करने के लिए पिछले महीने राज्य सरकार ने राज्य भर के लिए लगभग 72 करोड़ रुपये जारी किए थे.
गढ़वा के पास भी इस मद में 4 करोड़ 72 हजार रुपए आए. पर सरकार ने महीने भर के भीतर ही यह राशि वापस मंगवा ली. इस बारे में श्रम विभाग के बड़ा बाबू अनिरुद्ध सिंह के मुताबिक, सरकार ने बेरोजगारों के लिए जो बेरोजगारी भत्ता की राशि 4र करोड़ 72 लाख भेजी थी, उसे वापस मंगा ली है. श्रम विभाग ने यह राशि वापस भी कर दी है.
बता दें कि गढ़वा जिले में बेरोजगार युवाओं की फौज बढ़ने के साथ-साथ जिला नियोजनालय में निबंधन का ग्राफ बढ़ा है. सरकार द्वारा बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की घोषणा के बाद वर्ष 2020 में जिला नियोजनालय में निबंधन कराने के लिए बेरोजगार युवाओं की लंबी लाइन लग गई थी. पहले की तुलना में 4 गुणा ज्यादा बेरोजगार युवाओं ने जिला नियोजनालय में निबंधन कराया था. बावजूद युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल सका है.
युवा सरकार से आस लगाए हुए हैं
सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के बेरोजगार सरकार से आस लगाए बैठे हैं, मगर उनका बेरोजगारी भत्ता पाने का सपना चूर हो रहा है. जिला नियोजनालय के निबंधन के आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2017 तक जिले के कुल 10 हजार 622 बेरोजगार युवाओं ने जिला नियोजनालय में निबंधन कराया था. मगर वर्ष 2020 में अचानक यह आंकड़ा 45 हजार 433 पर पहुंच गया. इस वर्ष कुल 39 हजार 311 युवाओं ने बेरोजगारी भत्ता की आस में निबंधन कराया था. ज्ञात हो कि जिला नियोजनालय में बेरोजगारों का निबंधन 3 साल के लिए होता है. इसके बाद इसका रिन्यूवल कराना पड़ता है. अन्यथा निबंधित युवाओं का नाम जीवित पंजी से हटा दिया जाता है. अब तक बेरोजगारी भत्ता न मिलने पर सरकार के खिलाफ स्थानीय बेरोजगार युवाओं, बीजेपी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोगों का गुस्सा सरकार के खिलाफ बढ़ता जा रहा है.
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