इंसान इंसान इसलिए होता है क्यूंकि उसमे इंसानियत जिंदा होती है | लेकिन अगर इंसान के अन्दर इंसानियत मरने लगे तो आप क्या कहियेगा ? जी बिल्कुल ! तानासाही या कब्ज़े से हुकूमत कर आवाम पे ज़ुल्म करना इंसान को इंसान होने से खारिज करता है | तालिबान के कब्ज़े के बाद अफ़ग़ानिस्तान के लोगों का हाल बेहाल है | एक तरफ तालिबानी उन्हें जीने नहीं दे रहे | दूसरी तरफ ग़रीबी ने उनकी जिंदगी बदतर करने की ठान ली है |
बेबस ग़रीब अफगानियों के सामने तालिबान कब्जे के बाद सिवाय लाचारी के कुछ नही बचा | अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था वैसे ही पहले से बुरी थी उसपर तालिबान के कब्ज़े ने हालात खौफ़नाक कर दिया है | अमेरिका और NATO सैनिकों की काबुल से वापसी के बाद अगस्त के दौरान तालिबान ने अफगानिस्तान की हुकूमत/ सत्ता पर कब्जा किया था| तालिबान की हुकूमत की वापसी के बाद से ही अफगानियों को गरीबी का सामना करना पड़ रहा है|
अपने बच्चों तक को बेचना पढ़ रहा है
मौजूदा हालात ये है कि अफगानिस्तान के लोगों के पास खाने तक को पैसे नहीं है |तालिबान सरकार के तहत जो मजदूर काम कर रहे हैं, उन्हें पैसों के बजाय अनाज दिया जा रहा है| ये साफ़ ज़ाहिर है कि सिर्फ़ अनाज से तमाम ज़रुरीयात पूरी नही की जा सकती | ग़रीबी इस तरह बढ़ी है कि लोग अपने बच्चों तक को बेचने पर मजबूर हो रहे हैं| अफगानिस्तान पहले से ही दूसरे मुल्कों (देशों) पर मदद के लिए मुनासिर (निर्भर) है और इसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही टूट रही थी कि तालिबान की वापसी ने उनकी मुश्किलात में इज़ाफा कर दिया है |
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किडनी और शरीर के अंग बेचने को मजबूर
बढ़ती गरीबी से तंग लोग न सिर्फ अपने जिगर के टुकड़ों को, बल्कि अपने जिस्म के ज़रूरी अंगों (हिस्सों) (Afghan People Selling Organs) को भी बेचने पर मजबूर हो गए हैं| बेसहारा लोगों की बढ़ती हुई तादाद और नागरिकों के तरफ से लिए जा रहे इस तरह के शख्त फैसले अफगानिस्तान की बदहाली की साफ़ गवाही दे रहे हैं| पश्चिमी प्रांत हेरात में पैसे की सख्त जरूरत के शिकार लोगों ने अपनी किडनी बेचकर अपनी जिंदगियां खतरें में डाल दी हैं|
2021 में हुए 85 किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन
यूरोलॉजिस्ट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ नासिर अहमद ने बताया कि उन्होंने 2021 में 85 किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन किए हैं| उनका कहना है कि किडनी डोनर और खरीदार की आपसी रज़ामंदी से ही कंप्लीट किडनी ट्रांसप्लांट ऑपरेशन किया जाता है, जिसकी लागत लगभग 6,00,000 अफगानी से 8,00,000 अफगानी तक होती है| खून के किस्म के लिहाज़ (खून के प्रकार) से किडनी की कीमत लगभग 2,00,000 अफगानी से 4,00,000 अफगानी के बीच हो सकती है| इसमें अस्पताल चार्ज, दवा और ऑपरेशन चार्ज 4,00,000 अफगानी तक पहुंच सकता है|
अहमद ने बताया कि अपनी किडनी बेचने वाले बहुत से लोग काफी ग़रीब हैं | जिन्हें अपने परिवार का पेट पालने के लिए ऐसे शख्त फैसले लेने पड़ते हैं | हालांकि, डॉक्टर्स बार-बार उन्हें ख़बरदार कर रहे हैं कि इस तरह के कदम उठाने के नतीजे बहुत संगीन हो सकते हैं | अपनी किडनी बेचने के लिए आगे आने वाले ज़्यादातर डोनर अफगानिस्तान में विनाशकारी आर्थिक संकट से प्रभावित गरीब परिवारों से हैं| यही नहीं, वे उन खतरों से भी अनजान हैं, जो एक किडनी के न रहने से उन्हें उठाने पड़ सकते हैं|
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