हम सबने स्कूल में बचपन में राष्ट्र प्रतीकों के बारे में ज़रूर पढ़ा होगा | जैसे कि हमारा राष्ट्रीय झंडा तिरंगा है, राष्ट्र गान ‘जन गण मन..’ और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम है, राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर है, राष्ट्रीय फूल कमल और राष्ट्रीय फल आम है| इसी तरह हमारा राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ है| इस स्तम्भ को सम्राट अशोक ने सारनाथ में बनवाया था | आपको बता दूं कि 26 जनवरी 1950 को जब देश का संविधान लागू हुआ था तब इन राष्ट्रीय प्रतीकों को अंगीकृत किया गया | अब सवाल उठता है कि अशोक स्तंभ में तो ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ है ही नहीं, तो फिर यह आदर्श वाक्य कहां से लिया गया?
अशोक स्तंभ राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पे
आपने ज़रूर गौर किया होगा कि पुलिस से लेकर सेना तक के ड्रेस और मेडल्स में, राष्ट्रीय और राजकीय इमारतों पर, सिक्कों और नोटों में, सरकारी दस्तावेजों पर, पासपोर्ट और राष्ट्रीय पहचान वाले अन्य डॉक्युमेंट्स पर अशोक स्तंभ राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर नजर आता है | ये प्रतीक सम्राट अशोक के बनवाए गए स्तंभ से लिया गया है | राष्ट्रीय प्रतीक में इस स्तंभ पर चार शेर हैं लेकिन नज़र 3 ही आते हैं |वहीँ सामने धर्म चक्र बना हुआ है | साथ ही एक अश्व और बैल भी बने हुए हैं| अब आते हैं, इसके आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते पर कि ये कहाँ से आया |
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सत्यमेव जयते कहाँ से लिया गया
सत्यमेव जयते को भारत का ‘राष्ट्रीय आदर्श वाक्य’ माना जाता है, जिसका अर्थ होता है- “सत्य की ही जीत होती है”. आपको बात दूं कि बताया जाता है कि पंडित मदनमोहन मालवीय ने ‘सत्यमेव जयते’ को राष्ट्रपटल पर लाने के लिए और उसका प्रचार प्रसार करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | उनके योगदान और प्रयाक के बिना ये संभव नही था |सत्यमेव जयते का सूत्रवाक्य मुण्डक-उपनिषद से लिया गया है. यह मूलतः मुण्डक-उपनिषद के सर्वज्ञात मंत्र 3.1.6 का शुरुआती हिस्सा है|
मुण्डक-उपनिषद के जिस मंत्र से यह अंश लिया गया है, वह है- सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयानः/ येनाक्रमंत्यृषयो ह्याप्तकामो यत्र तत्सत्यस्य परमं निधानम्//. upanishads.org.in के मुताबिक, इस पूरे मंत्र का अर्थ है- ‘सत्य’ की ही विजय होती है असत्य की नहीं| ‘सत्य’ के द्वारा ही देवों का यात्रा-पथ विस्तीर्ण हुआ| यही वह मार्ग है, जिससे होकर आप्तकाम (जिनकी कामनाएं पूरी हो गई) ऋषिगण जीवन के चरम लक्ष्य/’सत्य’ के परम धाम को प्राप्त करते हैं|
सत्यमेव जयते का उपयोग निजी रूप से नहीं किया जा सकता
आपको जानकार हैरानी होगी कि सत्यमेव जयते का उपयोग हम निजी रूप से नहीं कर सकतें | ऐसा इसलिए क्यूंकि उपनिषद का यह वाक्यांश ‘सत्यमेव जयते’ आदर्श वाक्य के तौर पर राष्ट्रीय प्रतीक में शामिल है|यह अशोक स्तंभ शिखा के नीचे दिखाई दे सकता है| इसके अलावा यह भारतीय नोटों और सिक्कों में भी राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के साथ यह आदर्श वाक्य मुद्रित रहता है. (PS: indiamart/bharatdiscovery/twitter)
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