हाल में वैक्सीन लगवा चुके लोगों में संक्रमण के मामलों में तेज़ी देखी गई है.ऐसे में सवाल उठने लगा है कि ऐसा क्यों हो रहा है और क्या वैक्सीन असर नहीं कर रही? अगर इनके कारणों पर ध्यान देते है तो इसकी मुख्य तीन वजह है जिससे इस स्थिति को समझा जा सकता है.
पहली वजह: हम खुद पर्व-त्योहारों में लोगों से मिलते-जुलते हैं. क्रिसमस और नए साल पर ख़ास तौर पर पश्चिमी देशों मे लोगों ने मिलकर जश्न मनाया. इससे कोरोना के प्रसार का ख़तरा बढ़ा. लोग संक्रमित होने लगे.
दूसरी वजह: दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन को उपलब्ध हुए लगभग एक साल हो चुके हैं. वैक्सीन का असर हमेशा नहीं रहेगा ये बात पहले भी मेडिकल एक्सपर्ट ने कहा है.
मेडिकल एक्सपर्ट कहते हैं, ”हमने देखा है कि समय बीतने के साथ वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा का स्तर कम होता जाता है. वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा अलग-अलग उम्र वर्ग में अलग-अलग होगी. यह कम या ज्यादा हो सकती है. इसी वजह से पहले अधिक उम्र के लोगों या कम इम्युनिटी वाले लोगों और फिर पूरी आबादी को कोरोना वैक्सीन की तीसरे डोज़ की ज़रूरत महसूस हुई.”
तीसरी वजह: ओमिक्रॉन वेरिएंट, जो पहले के वेरिएंट्स की तुलना में ज़्यादा संक्रामक है. ये वैक्सीन के असर को कम करता है, साथ ही इसमें कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों को संक्रमण से मिली प्रतिरोधक क्षमता को मात देने की शक्ति है.
मेडिकल एक्सपर्ट इस बारे में कहते हैं, ”इन मामलों को देखते हुए वैक्सीन लगवा चुके लोगों में संक्रमण को सामान्य मान लेना चाहिए और हमें इसके साथ जीना सीखना चाहिए.”
राहत की बात ये है कि कोरोना के मामलों में हालिया तेज़ी के बाद भी वैक्सीन ले चुके लोगों में अस्पताल में भर्ती होने की दर के साथ-साथ मृत्यु दर भी बेहद कम है.
अभी जारी लहर के लिए सबसे बड़ी वजह वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट को बताया जा रहा है.
ये वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ़्रीका में मिला. इस वेरिएंट की वजह से अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में रिकॉर्ड संख्या में संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं. भारत में भी नए मामलों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है.और ये स्थिति तब है जब भारत समेत सारी दुनिया में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के टीकाकरण की कोशिश जारी है. बड़ी आबादी को टीके लग भी चुके हैं लेकिन फिलहाल ऐसे भी मामले आ रहे हैं, जहां टीका लगवा चुके लोगों को भी संक्रमण हो रहा है. तो क्या अभी जो वैक्सीन हैं उनका ओमिक्रॉन पर असर नहीं होता?
वैक्सीन के असर को लेकर छिड़ी बहस के बीच पिछले साल दिसंबर में भारत के स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में कहा था कि ऐसा ‘कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रॉन वेरिएंट पर काम नहीं करतीं.’
ब्राज़ील के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रेनाटो कफोरी का भी कहना है कि कोरोना से बचाव की जो पहले दौर की वैक्सीन आई हैं उनका उद्देश्य फिलहाल बीमारी के गंभीर खतरों को कम करना है, यानी ऐसा ना हो कि संक्रमण हुआ भी तो अस्पताल जाने की नौबत आ जाए, या संक्रमण जानलेवा बन जाए.
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