वर्ष 2013 से भले ही नक्सलियों के द्वारा किसी हत्या की घटना को धनबाद जिला में अंजाम नहीं दिया गया हो मगर उनके खौफ की दास्तां आज भी मशहूर है।
यह खौफ आम लोगों पर तो हे ही जिला प्रशासन में भी यह खौफ समाया हुआ है।
शायद इसलिए टुंडी और तोपचांची के 50 से अधिक तालाब ऐसे है जहां मत्स्य विभाग नक्सलियों के डर से आज भी बंदोबस्ती नहीं करवाता है। हालांकि इन तालाबों में मछली पालन जम कर होता है मगर स्थानीय लोग आराम से बिना कोई टैक्स दिये मछली बेच कर अपनी जीविका चला रहे है। वही इन तालाबों से होने वाले राजस्व के लाखों रुपये का नुकसान मत्स्य विभाग को उठाना पड़ रहा है।
अभी तक नहीं हो पायी बंदोबस्ती: जिला भर में 1298 तालाब मत्स्य विभाग के पास है। जिसमें अभी भी 400 तालाब की बंदोबस्ती विभाग नहीं कर पाया है। इसमें मनियाडीह,टुंडी, मछियारा, पलमा, सर्रा आदि क्षेत्र के 50 से उपर तालाब है जिसमें कोई समिति मछली पालन के लिए रुचि भी नहीं दिखाता। मत्स्य पदाधिकारी मुजाहिद अंसारी बताते है कि नक्सलियों के खौफ के चलते ही ऐसा होता रहा है। इसलिए इन तालाबों की बंदोबस्ती करने के लिए भी विभाग रुचि नहीं दिखाता है। मत्स्य पदाधिकारी बताते है कि जल्द बाकी तालाबों की बंदोबस्ती कर दी जाएगी।
निगम के अधीन है 82 तालाब
नगर निगम क्षेत्र में 82 तालाब निगम के अधीन है। इन तालाबों की बंदोबस्ती भी मत्स्य विभाग नहीं कर रहा है। इससे भी सरकार के राजस्व को नुकसान हो रहा है। हालांकि निगम इन दिनों मत्स्य विभाग को इन तालाबों की बंदोबस्ती करवाने के लिए जोर जरुर दे रहा है मगर मत्स्य विभाग इन तालाबों की बंदोबस्ती कर नहीं रहा है। मत्स्य पदाधिकारी मुजाहिद अंसारी बताते है कि जब निगम ने तालाबों को अपने अधिग्रहण में ले लिया है तो फिर मत्स्य विभाग इनकी बंदोबस्ती कैसे कर सकता है।
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