
झारखंड-ओडिशा सीमा के समीप पांड्राशाली गांव स्थित कल्पना चावला साइंस क्लब में “पीरियड एंड साइंस” कार्यशाला आयोजित
ग्रामीण बच्चों की बेहतरी को लगातार प्रयासरत सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन का 8वा वर्षगांठ
चाईबासा / जमशेदपुर : सुदूर ग्रामीण इलाके में निवास करने वाले बच्चे गुणवतापूर्ण शिक्षा के अभाव में विज्ञान की शिक्षा के प्रति रुचि जागृत नहीं कर पाते। वही समाज में व्याप्त रूढ़िवादी विचारधारा व अंधविश्वास को दूर भगाने के लिए देश के भविष्य बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकसित किया जाना भी जरूरी है। सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन ने शिक्षा, माहवारी स्वच्छता, किशोरी महिला स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, एक पैड, एक पेड़ अभियान, पीरियड पुस्तकालय, बालक बालिका समानता पर आधारित मिक्स जेंडर क्रिकेट इत्यादि कई अभियानों के माध्यम से पिछले 8 साल में कम से कम 1 लाख किशोरियों व महिलाओं को पीरियड के विज्ञान के प्रति जागरूक कर पीरियड से जुड़े शर्म झिझक, कई रूढ़िवादी धारणाओं व सामाजिक भ्रांतियों कुरीतियों से निजात दिलवाने का प्रयास किया है। अभियान के माध्यम से समाज में माहवारी व महिलाओं के प्रति व्याप्त कई रूढ़िवादी सोच के प्रति भी समुदाय में बेहतर समझ बनी है।
विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन ने अपने 8वें वर्षगांठ के मौके पर “पीरियड एंड साइंस” जनअभियान का शुभारंभ झारखंड-ओडिशा सीमा के समीप पांड्राशाली गांव स्थित कल्पना चावला साइंस क्लब में “पीरियड एंड साइंस” कार्यशाला आयोजित कर किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से मंझारी स्थित कल्पना चावला साइंस क्लब, पांड्राशाली के संस्थापक प्रधान बिरुवा, झारखंड के पैडमैन सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक तरुण कुमार, ट्राइबल पैडमैन बैद्यनाथ हांसदा व केरूवाडूंगरी पंचायत के मुखिया कान्हु मुर्मू उपस्थित थे।
कार्यशाला के दौरान महिला किशोरी स्वास्थ्य में माहवारी स्वच्छता का महत्व, पीरियड का विज्ञान, बालिका शिक्षा और वैज्ञानिक सोच से समाज में आने वाले बदलावो पर विस्तार से बातचीत की गई।
सुदूर गांवों में रहने वाले बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जरूरी – प्रधान बिरुवा
कल्पना चावला साइंस क्लब के प्रधान बिरुवा ने बताया कि सुदूर गांवों में रहने वाले बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जरूरी है, वही विज्ञान की शिक्षा समाज के लिए कई नए रास्ते खोलती है। झारखंड के पैडमैन तरुण कुमार ने बताया कि “पीरियड एंड साइंस” अभियान का उद्देश्य निश्चय से जुड़े स्वयंसेवकों के माध्यम से ग्रामीण विद्यालयों व गांवों में लगातार आयोजित हो रहे शिक्षा, माहवारी स्वच्छता व किशोरी महिला स्वास्थ्य, पर्यावरण जागरूकता व अन्य संबंधित कार्यशालाओं के दौरान बच्चों में वैज्ञानिक अभिरुचि की पहचान करते हुए ग्रामीण व सुविधावंचित समुदाय के चयनित बच्चों को विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने को प्रेरित करना है, जिससे निकट भविष्य में समाज में व्याप्त रूढ़िवादी सोच व अंधविश्वास में कमी आ सके।
वहीं अभियान से प्रेरित होकर बच्चे इंटरमीडिएट में विज्ञान की पढ़ाई कर सकते हैं, जिससे आदिवासी इलाके के बच्चे भी उचित मार्गदर्शन से वैज्ञानिक अनुसंधान से जुड़े उच्च शिक्षा प्राप्त कर इंजीनियरिंग, मेडिकल, रिसर्च, वैज्ञानिक, शिक्षण इत्यादि जैसे कैरियर की तरफ भी बढ़ सकते है। इससे विज्ञान के क्षेत्र में ग्रामीण इलाके, आदिवासी व सुविधावंचित समुदायों की भागीदारी बढ़ेगी, जिसे वर्तमान समय में नगण्य माना जा सकता है।
अभियान से बच्चों व महिलाओं की जानकारियों में काफी इजाफा हुआ है – कान्हु मुर्मू
“पीरियड एंड साइंस” अभियान के शुभारंभ के मौके पर मौजूद केरूवाडूंगरी मुखिया कान्हु मुर्मू ने बताया कि उनके पंचायत में अभियान से बच्चों व महिलाओं की जानकारियों में काफी इजाफा हुआ है। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित ट्राइबल पैडमैन बैद्यनाथ हांसदा, प्रधान बिरुवा, मिथिला बिरुवा, सुमित्रा बिरुवा, रंजीता बारी, शुभम दोराई समेत बड़ा लागडा पंचायत के कई गांवों से लगभग 60 बच्चे व महिलाएं उपस्थित थी। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को प्रोजेक्ट बाला रियूजेबल पैड और पुस्तकों का उपहार भी दिया गया।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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