
संगीत, नृत्य और कला की त्रिवेणी ने छुआ सबके दिलों को, विद्यार्थियों की प्रतिभा को मिला सम्मान
चाईबासा: कला की बारीकियों को सीखने और आत्मा से जोड़ने वाली संस्था शारदा संगीतालय द्वारा आयोजित वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम इस वर्ष भी अपने भव्य रूप में प्रस्तुत हुआ। पिल्लई हॉल में आयोजित यह समारोह न केवल विद्यार्थियों की प्रतिभा का अद्भुत संगम था, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और कलात्मक अभिव्यक्तियों का जीवंत उदाहरण भी बना।
दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसे मुख्य अतिथि राम अवतार अग्रवाल तथा विशिष्ट अतिथि समाजसेवी गुरमुख सिंह खोखर, राजकुमार सिंह एवं डॉ. मानोशी संतरा ने संयुक्त रूप से संपन्न किया। प्रकाश का यह प्रतीक मानो आने वाले सांस्कृतिक उल्लास का अग्रदूत बन गया।
संगीत और नृत्य की स्वरलहरियाँ
कार्यक्रम की शुरुआत शारदा संगीतालय के छात्रों द्वारा प्रस्तुत इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक से हुई, जिसने सभागार में उपस्थित श्रोताओं को एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले चलने का अहसास कराया। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने ‘ये है शारदा संगीतालय’ थीम सॉन्ग की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिससे संस्था के प्रति उनका समर्पण और गर्व झलकता रहा।
कथक की गुरु वंदना में दिखा भाव और भक्ति का संगम
कथक ग्रुप द्वारा प्रस्तुत गुरु वंदना में नृत्य के माध्यम से जो समर्पण और श्रद्धा व्यक्त की गई, उसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। छोटे-छोटे बच्चों की मुस्कान, हाथों की मुद्राएं और नृत्य के भाव दर्शकों के दिलों को छू गए।
हर विधा में विद्यार्थियों ने दिखाया कमाल
इस आयोजन में केवल गायन और नृत्य ही नहीं, बल्कि चित्रकला, गिटार, सिंथेसाइज़र और अन्य संगीत विधाओं के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उनके आत्मविश्वास और तैयारी ने यह सिद्ध किया कि कला केवल मंच की शोभा नहीं, बल्कि आत्मा की साधना है।
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श्रेष्ठ विद्यार्थी सम्मान से बच्चों का हौसला बढ़ा
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रेष्ठ विद्यार्थी सम्मान 2024–25 प्रदान किए गए, जो विद्यार्थियों के निरंतर परिश्रम का सम्मान था।
गायन विधा से हिमांशु बिस्वाल
गिटार विधा से अयन दास
मॉडर्न डांस से अन्वी अनीषा सोय एवं परी रॉय
ड्राइंग विधा से सृजिब गिरी
को यह सम्मान देकर न सिर्फ उनके हौसले को पंख दिए गए, बल्कि अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा भी बनी।
बैकस्टेज हीरो को भी मिला सम्मान
कार्यक्रम के सफल आयोजन में पर्दे के पीछे सक्रिय योगदान देने वालों को भी संस्था ने बेस्ट सपोर्टिंग पर्सन के रूप में सम्मानित किया, जिनमें देवाशीष चटर्जी, देबोजित राय, शुभंकर घोष, प्रणब दरिपा एवं राजकुमार सिंह प्रमुख हैं।
निदेशक का भावपूर्ण धन्यवाद
संस्था के निदेशक मानस रॉय ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में कहा कि “इस आयोजन की सफलता केवल मंच पर दिखे कलाकारों की नहीं, बल्कि उन सभी शिक्षकों और सहयोगियों की है जिन्होंने पूरे वर्ष बच्चों को निखारने का कार्य किया।”
उन्होंने देवाशीष चटर्जी, प्रणब दरिपा, देबोजित राय, आशीष सिंहा, मुनमुन बोस, विवेक सिन्हा, स्निग्धा दे, सौरभी दत्ता, दीपेश गोप एवं नेहा बॉस के समर्पण की सराहना की।
मंच संचालन की कमान संभाली जया दूबे ने
पूरे कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन जया दूबे ने किया, जिनकी स्पष्ट और भावपूर्ण आवाज ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी ऊँचाई दी।
संस्था द्वारा सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को किया गया सम्मानित
कार्यक्रम के समापन पर शारदा संगीतालय की ओर से सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया, जो वर्ष भर विद्यार्थियों को कला की ओर प्रेरित करने में जुटे रहे।
यह वार्षिक समारोह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि उस जुनून, लगन और साधना का उत्सव था जो आज के बच्चों को कल के महान कलाकारों में बदलने की क्षमता रखता है। शारदा संगीतालय ने यह सिद्ध कर दिया कि जब शिक्षा और संस्कृति साथ चलती हैं, तब एक समृद्ध समाज की नींव रखी जाती है।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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