
शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग कर छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से शिक्षित किया जा सकता है – डॉ. बंश गोपाल सिंह
एमबीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, आसनबनी ने 30 अप्रैल 2025 को एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसका विषय था “21वीं सदी में शिक्षा: चुनौतियाँ और अवसर”। इस संगोष्ठी के अध्यक्ष श्री विवेक सिंह थे, जबकि निर्देशिका श्रीमती अनुपा सिंह ने इसका संचालन किया। मंच संचालक के रूप में सीखा शर्मा और इशिका बनर्जी थे।
इस अवसर पर प्रमुख अतिथियों ने अपना विचार प्रस्तुत किये :-
डॉ. बंश गोपाल सिंह, कुलपति, सुन्दरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी, छत्तीसगढ़:
– “21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में नई चुनौतियों और अवसरों का सामना करने के लिए हमें नए और नवाचारी तरीकों को अपनाना होगा।”
– “शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हम छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से शिक्षित कर सकते हैं।”
डॉ. राजीव कुमार मल्लिक, प्रो कुलपति, मानविकी संकाय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना:
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करना चाहिए, बल्कि उन्हें जीवन के कौशलों से भी लैस करना चाहिए।”
– “21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में हमें अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए छात्रों को आत्मनिर्भर और रचनात्मक बनाने पर।”
डॉ. दिनेश कुमार गुप्ता, सहायक प्रोफेसर अर्थशास्त्र, नोडल अधिकारी आईक्यूएसी, उच्च शिक्षा विभाग, उत्तराखंड:
– “शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हम छात्रों को अधिक प्रभावी ढंग से शिक्षित कर सकते हैं और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।”
– “ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से हम छात्रों को अधिक लचीलापन और सुविधा प्रदान कर सकते हैं।”
डॉ. लक्ष्मीधर पांडा, सहायक प्रोफेसर, शिक्षा शास्त्री विभाग, श्री जगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी, ओडिशा:
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को संस्कृति और मूल्यों के बारे में भी शिक्षित करना चाहिए।”
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं और रुचियों पर।”
डॉ. संजीव आनंद, सीवीसी कोइहन विश्वविद्यालय, चाईबासा:
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को अधिक अवसर प्रदान करना चाहिए उनके कौशलों और प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए।”
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को अधिक समर्थन प्रदान करना चाहिए उनके व्यक्तिगत और पेशेवर विकास के लिए।”
डॉ. संजीव कुमार सिंह, प्रिंसिपल, जीसी जैन कॉमर्स कॉलेज, चाईबासा:
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए उनकी व्यावसायिक आवश्यकताओं और कौशलों पर।”
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को अधिक अवसर प्रदान करना चाहिए उनके व्यावसायिक विकास के लिए।”
डॉ. दारा सिंह गुप्ता, एनएसएस समन्वयक, कोल्हान विश्वविद्यालय के विचार:
– “शिक्षा के क्षेत्र में हमें छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करना चाहिए, बल्कि उन्हें समाज के प्रति भी जिम्मेदार बनाना चाहिए।”
– “एनएसएस के माध्यम से हम छात्रों को समाज सेवा और सामुदायिक विकास के कार्यों में शामिल कर सकते हैं और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बना सकते हैं।”
संगोष्ठी में 200 छात्र छात्राओं ने भाग लिया
इस संगोष्ठी में शोध छात्रों, संकाय सदस्यों और संकाय के 200 छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। संगोष्ठी के आयोजन में अनुपा सिंह, डॉ. दीपिका भारती, भवतारण भकत, मिलि कुमारी, मधुसूदन महतो, और राजेश्वर वर्मा समेत कई लोगों का महत्वपूर्ण योगदान था।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य 21वीं सदी में शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करनी थी। वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए और सुझाव दिए कि कैसे हम इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।
संगोष्ठी के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दिया गया और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस अवसर पर एमबीएनएस इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, असनबानी के निर्देशिका श्रीमती अनुपा सिंह ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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