
महिला दल में झारखंड के सात खिलाडी एवं पुरुष वर्ग में पांच खिलाडी शामिल
पैरालंपिक एसोसिएशन ऑफ़ झारखंड के द्वारा मोराबादी स्थित होटल ट्रोइका में आज 8 फरवरी को प्रेस वार्ता में बताया गया कि प्रथम एशिया पारा थ्रो बॉल प्रतियोगिता का आयोजन दिनांक 28 से 30 मार्च 2025 तक रास्ट्रीय पारा स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर, नोम पेन्ह में वर्ल्ड पारा थ्रो बॉल फेडरेशन, कम्बोडिया के द्वारा किया गया है | भारतीय टीम में चयनित सभी खिलाडी 20 मार्च 2025 को कोचिंग के लिए KCR कोलेज इरोड तमिलनाडु में रिपोटिंग करना है। हर्ष का विषय है कि इस एशिया पारा थ्रो बॉल प्रतियोगिता में झारखण्ड से कुल बारह (12) खिलाडियों का चयन किया गया है | महिला दल में झारखंड के सात खिलाडी एवं पुरुष वर्ग में पांच खिलाडी शामिल हैं ।
महिला वर्ग में प्रतिमा तिर्की, महिमा उरांव, अनीता तिर्की, संजुक्ता एक्का, असुंता टोप्पो, पुष्पा मिंज, तारामणि लकड़ा एवं
पुरुष वर्ग में मुकेश कंचन(कप्तान), सनोज महतो,पवन लकड़ा, राजेश कुमार मेहता, और मुकेश कुमार शामिल हैं । पैरालंपिक एसोसिएशन ऑफ़ झारखंड के सचिव सरिता सिन्हा ने कहा है कि यह झारखंड के लिए बहुत ही ख़ुशी एवं गौरव का पल है कि झारखण्ड से प्रथम एशियन पारा थ्रोबॉल अंतरास्ट्रीय स्तर पर बड़ी संख्या में खिलाड़ियों का चयन हुआ है।
झारखंड की टीम अभी भी अपना प्रायोजक तलाश रही है। उम्मीद है कि टीम को सह समय प्रायोजक मिल जाएगा।
विदित को कि गत वर्ष रांची में ही आयोजित राष्ट्रीय पारा थ्रो प्रतियोगिता में पैरालंपिक एसोसिएशन ऑफ़ झारखंड के अध्यक्ष राहुल मेहता के नेतृत्व में झारखंड की दोनों वर्ग की टीम चैंपियन बनी थी। एसोसिएशन के संरक्षक डॉ. प्रणव कुमार ब्बू ने कहा कि राज्य से 12 खिलाड़ियों के चयन से दिव्यांग जनों का हौसला बढ़ाने में मददगार होगा पूरे समाज के लिए प्रेरणा का क्षेत्र बनेगा , यह राज्य के लिए गौरव की बात है। एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल अग्रवाल राज्य में सामान्य खिलाड़ियों की तरह दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए लिए स्पेशल खेल मैदान बनाया जाए तो वह और अच्छा से अपना खेल का प्रदर्शन कर सकते हैं और इसे देखते हुए बहुत सारे दिव्यांग बंधु भी बाहर निकाल कर आएंगे।
पारा खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से सहयोग की बहुत आवश्यकता
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पतरस तिर्की ने कहा कि झारखंड के सभी पारा खिलाड़ियों को आर्थिक रूप से सहयोग की बहुत आवश्यकता है सरकार को आर्थिक रूप से मदद जरूर करना चाहिए ताकि खिलाड़ी आगे भी अच्छा खेल का प्रदर्शन कर सके। टीम के मुकेश कंचन ने बताया कि अन्य देशों में पारा थ्रो बाल खिलाड़ियों को बहुत सुविधा प्राप्त है। लेकिन भारत, विशेषकर झारखंड के खिलाड़ी कठिन परिस्थितयों से जूझते जूझते मानसिक रूप से सशक्त हो गए हैं। हमारी कमी को हमने ताकत में बदल दिया है। हमारा लक्ष्य स्वर्ण पदक है, और इसके लिए जी जान लगा देंगे।

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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