रांची, 01 February : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में रखे गए बजट प्रस्ताव पर भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (CITU) -झारखंड राज्य कमेटी की प्रतिक्रिया
सीटू राज्य कमेटी के महासचिव बिश्वजीत देब ने कहा कि दिसंबर-2024 में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा वित्त मंत्री के समक्ष बजट पर रखे गए प्रस्ताव में संयुक्त मंच ने अपनी मांगों को दोहराया था, जिसमें महंगाई पर नियंत्रण के लिए कदम, जीएसटी और उत्पाद शुल्क में कमी, मध्यम वर्ग के लोगों को आयकर में राहत और कॉरपोरेट्स और अति अमीर पर अधिक टैक्स; सरकारी विभागों में सभी मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरना, मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाना, शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना को लागू करना, सार्वजनिक संगठनों के निजीकरण और राष्ट्रीय संसाधनों की लूट को रोकना, वैधानिक एमएसपी सुनिश्चित करना, खेत मजदूरों, ठेका मजदूरों, गिग वर्करों, स्कीम वर्करों, अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों आदि सहित हाशिए पर पड़े मेहनतकश लोगों को राहत और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल था । लेकिन करीब करीब सभी मांगों को बजट प्रस्तावों में नजरअंदाज किया गया ।
एक वाक्य में बजट प्रस्ताव – , “EASE OF DOING BUSINESS, FDI और PPP मॉडल के नाम पर लगभग सौ कॉर्पोरेट घरानों के लिए एक बड़ा केक, लगभग एक करोड़ मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए छोटी सी चोरी और सवा सौ करोड़ जनता लिए जुमला और शब्दों की बाजीगरी।
1) बजट प्रस्ताव का उद्देश्य बिजली, बीमा, खान एवं आधारभूत संरचना के निजीकरण और तेज करना तथा कृषि की कॉरपोरेटाइजेशन को और बढ़ावा देना है।
2) बड़ा विश्वासघात: (a) कल्याणकारी योजनाओं एवं सामाजिक सुरक्षा के लिए सरकारी व्यय एक बार फिर कम कर दिया गया है। (b) किसानों के लिए वैधानिक एमएसपी पर कोई घोषणा नहीं (c) शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए कोई घोषणा नहीं, (d) सार्वजनिक और सरकारी क्षेत्र में रोजगार सृजन के लिए कोई प्रत्यक्ष कदम नहीं (e) असंगठित, अनुबन्धित, अनौपचारिक और ठेका कामगारों के लिए कोई ठोस सुझाव नहीं। गिग वर्करों के कल्याण और न्याय के नाम पर केवल ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण का प्रस्ताव दिया गया है, और संबंधित लाभ केवल असंगठित श्रमिकों की तरह ही सीमित रहेंगे। किसी कल्याण कोष का आवंटन नहीं किया गया है।(f) पेट्रोलियम उत्पाद शुल्क दरों में कटौती का कोई प्रस्ताव नहीं – लूट जारी रहेगी
3) अप्रत्यक्ष करों से संबंधित विधायी संशोधनों के माध्यम से जीएसटी कानून पर कोई प्रस्ताव नहीं, जैसा कि ट्रेड यूनियनों द्वारा आवश्यक खाद्य वस्तुओं, दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी नहीं लगाने की मांग की गई है।
4) अति धनवानों संपत्ति कर और उत्तराधिकार कर पर नहीं लगाया गया है, बल्कि पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) और प्रदर्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) के लिए आवंटन जारी रखा गया है।
इन सभी विश्वासघात के विरोध में 5 फरवरी को पूरे देश में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनें विरोध प्रदर्शन करेंगी और बजट प्रस्तावों की प्रतियां जलाएंगी।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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