अंतराष्ट्रीय वालंटियर दिवस पर शहर के अखबार के कार्यालय में दिया गया यह सम्मान
टाटा मेडिकल सेंटर, कोलकाता में एसडीपी रक्तदान करने के लिए मिली यह उपलब्धि
टीम पीएसएफ आज एक विश्वास बन गया है. मानव प्रेम और मानव सेवा के प्रति समर्पित अद्धाय का. इसी का जीता-जागता उदाहरण पेश हुआ, जब जमशेदपुर के एक होनहार लड़का अर्षनन्दन, अपना बीएमटी आपरेशन हेतु निकटवर्ती राज्य पश्चिम बंगाल के राजधानी कोलकाता टाटा मेडिकल सेंटर में इलाजरत हेतु भर्ती हुआ. समय था सितम्बर का महीना, ठीक दुर्गा पूजा के पहले और ऑपरेशन के पश्चात अर्षनन्दन को एक दो दिन के अंतराल पर प्रतिदिन दो ( ए पाज़िटिव ) सिंगल डोनर प्लेटलेट्स यानी एसडीपी रक्त की जरुरत कहा गया.
..को-ऑर्डिनेशन में कोलकाता भेजना शुरू किया
टीम पीएसएफ के निदेशक अरिजीत सरकार ने कहा, “यूं तो साधारणतः रक्तदान करने में 10 मिनट का ही समय लगता है. परन्तु एसडीपी रक्तदान करने में औसतन 40 मिनट से लेकर 1 घंटे का वक्त लगता है. कौन कहता है कि आकाश में सुराख़ नहीं हो सकता- एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. जैसे ही टीम पीएसएफ के पास इसकी सूचना आई. दुर्गा पूजा के पहले यानी 27 सितम्बर से टीम पीएसएफ के एसडीपी रक्तवीर योद्धाओं को दो-दो की टोली में ( पहले ही जांच पड़ताल कर, ढाई लाख से ऊपर जिन रक्तवीरों का प्लेटलेट्स काउंट था) ऐसी एक विशाल फौज तैयार करते हुए टीम पीएसएफ, जमशेदपुर ब्लड सेंटर के जीएम संजय चौधरी, एवं एमटीएमएच के वरीय प्रशासक अमिताभ चटर्जी के को-ऑर्डिनेशन में कोलकाता भेजना शुरू किया.”
अर्षनन्दन के जीवन में फिर से खुशियों के दीए जल उठे
उन्होंने आगे बताया, “एसडीपी रक्तवीर योद्धाओं के फौज में शामिल किया गया आशीष अग्रवाल, उत्तम कुमार गोराई, अमिताभ चटर्जी, शुभेंदु मुखर्जी, बी. शेशा गिरी, एम. भी. प्रसाद, राजन बनर्जी, रीतेश कुमार पांडे, मृनाल साव, मनोज कुमार एवं गणेश, किसी ने एकबार, तो किसी ने वहां जाकर दो बार रक्तदान किया. और नियमित रूप से 27 सितम्बर से अभी तक निरंतर जारी, इन एसडीपी रक्तवीर योद्धाओं ने अपने एसडीपी रक्तदान के जरिए, टाटा मेडिकल सेंटर कोलकाता में इलाजरत जमशेदपुर निवासी अर्षनन्दन के नसों में रक्त प्रवाह कर जीवनदाई बनते रहे. और अन्ततः इसी एसडीपी रक्तदान के जरिए अर्षनन्दन के जीवन में फिर से खुशियों के दीए जल उठे और उन्हें नया जीवनदान मिल गया.”
एक मिसाल पेश कर दी
झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी सामाजिक संस्था टीम पीएसएफ यानी प्रतीक संघर्ष फाउंडेशन के द्वारा किसी दूसरे राज्य में एसडीपी रक्तदान का यह महा अभियान सफलता का परचम लहराते हुए एक मिसाल पेश कर दी. जहां दुर्गा उत्सव के दौरान भी जिले के उपायुक्त, वरीय पुलिस अधीक्षक ने भी ऐसे मानव जीवनदाई कल्याणकारी कार्य को सर्वोपरि रखते हुए टीम पीएसएफ को सम्मानित कर चुके हैं. वहीं जमशेदपुर के एक लोकप्रिय अखबार ने भी पूरे रक्तवीर योद्धाओं के फौज को अपना कार्यालय में बुलाकर जीवनदाई मानव सेवा सम्मान से सम्मानित किया.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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