डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का सादा जीवन उच्च विचार लोगों के लिए प्रेरणादायक
भारत के प्रथम राष्ट्रपति देश रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती कांग्रेस भवन में मंगलवार को मनाई गई । कांग्रेसियों ने एक स्वर में कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक सशक्त सेनानी व नेता के रूप में उभरे थे। वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सानिध्य में अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ निरंतर लड़ते रहे। वर्ष 1931 के नमक सत्याग्रह और 1941 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार जेल की यातनाएं झेलनी पड़ी। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का सादा जीवन उच्च विचार लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित होता है।
डॉ.राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में सामाजिक प्रगति के प्रतीक डॉ. प्रसाद संविधान के मूल अधिकार, मूल कर्तव्य राज्य के नीति निदेशक और गरीबों के उत्थान के प्रति सदैव चिंतित रहा करते थे।
मौके पर कांग्रेस के त्रिशानु राय, कैरा बिरुवा , दिकु सावैयां , लक्ष्मण हासदा , जगदीश सुंडी , सिकुर गोप , नंद गोपाल दास , तोयल सुरीन , राज गोप , सुशील दास , धनेश्वर पान आदि उपस्थित थे ।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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