जेल में उसकी क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा जा रहा है
हमारे देश की विभिन्न जेलों में लाखों विचाराधीन कैदी सालों से बंद हैं जिनमें एक बड़ी संख्या गरीब कैदियों की है, जो पैसे के अभाव में अपने केस की पैरवी नहीं कर पाते हैं. इससे जेल में उसकी क्षमता से ज्यादा कैदियों को रखा जा रहा है जो मानवाधिकार का भी उल्लंघन है.इस मुद्दे पर मुखर जमशेदपुर के मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने सूचना का अधिकार एक्ट के तहत झारखंड के मुख्य सचिव से सवाल पूछा है कि क्या राज्य के सभी जिलों में ‘सपोर्ट टू पुअर प्रीजनर्स स्कीम’लागू हो गया है?अगर लागू है तो कब से और अब तक कितने रूपयों का भुगतान हुआ है?
साथ ही कितने लोगों को इसका लाभ मिल चुका है? क्या गरीब लोगों को इसका लाभ मिलना शुरु हो गया है? शर्मा ने पूछा है कि अगर लागू नहीं है तो किस कारण से नहीं है और यह कब से लागू होगा? क्या सभी जिलों के बैंकों में खाते खोल दिए गए हैं ?
10 दिसंबर से पहले इस पत्र का जवाब देने का आग्रह
जवाहरलाल शर्मा ने अपने पत्र के साथ भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा संदर्भ संख्या-17013/26/2023PR के तहत भेजे गए महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन पत्र की छापाप्रति भी संलग्न की है.शर्मा ने मुख्य सचिव को लिखा है कि यह महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन इसलिए भेजा गया था ताकि गरीब विचाराधीन कैदी सरकार द्वारा निर्धारित स्कीम के तहत राशि का भुगतान कर जेल से मुक्त हो सकें या न्याय के लिए वकील की फीस दें पाएं.जवाहरलाल शर्मा ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि उनकी जानकारी में यह स्कीम अब तक झारखंड में लागू नहीं है. जवाहरलाल शर्मा ने मुख्य सचिव से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानि 10 दिसंबर से पहले इस पत्र का जवाब देने का आग्रह किया है.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी चिंता जाहिर कर चुकी हैं
बता दें कि देश के विभिन्न जेलों में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी चिंता जाहिर कर चुकी हैं. जवाहरलाल शर्मा ने कहा कि अगर यह स्कीम राज्य में लागू हो जाए तो कई गरीब लोगों को न्याय मिल सकेगा और जेलों में कैदियों की संख्या भी कम हो जाएगी.शर्मा ने कहा कि 10दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जा रहा है और यह दुखद है कि राज्य में ‘सपोर्ट टू प्रीजनर्स स्कीम’ लागू नहीं है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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