“कॉर्पोरेट-परस्त और अमीर-परस्त” नीतियों के विरोध में यह आन्दोलन
केंद्र सरकार की जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी नीतियों को उजागर करने तथा वैकल्पिक नीति की मांग के लिए ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र कर्मचारी महासंघों और किसान मोर्चा के अभियान के तहत 26 नवंबर 2024 को देशव्यापी जिला स्तरीय प्रदर्शन तथा लंबित मांगों को लेकर भारत की राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम के अनुसार आज जमशेदपुर में भी कोल्हान के संयुक्त मंच द्वारा उक्त कार्यक्रम किया गया।
यह कार्यक्रम कोविड-19 महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान ऐतिहासिक राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन यानी 26 नवंबर 2020 को किसानों के दिल्ली मार्च और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी आम हड़ताल की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर किया गया ।
जमशेदपुर के कार्यक्रम में विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, कर्मचारी महासंघों और किसान यूनियनों के नेताओं ने भारत की महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए जमशेदपुर के उपायुक्त कार्यालय में एक ज्ञापन सौंपा, तथा बिरसा चौक साकची में एक विशाल नुक्कड़ सभा किया गया, जिसमें विभिन्न ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों के सैकड़ों सदस्य शामिल हुए।
कई बिन्दुओं से संबंधित मांगें
किसान-मजदूर संयुक्त मंच की ओर से बताया गया कि किसानों और मजदूरों के निरंतर संयुक्त और स्वतंत्र आंदोलनों तथा चुनावों में मेहनतकश जनता द्वारा दिए गए पर्याप्त संदेशों के बावजूद, केंद्र सरकार मजदूरों के अधिकारों को छीनने और किसानों को दिए गए आश्वासनों को नकारने के अपने एजेंडे को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रही है, इसलिए पूरे देश के किसान-मजदूरों के विभिन्न संगठन केंद्र सरकार का “कॉर्पोरेट-परस्त और अमीर-परस्त” नीतियों के विरोध में स्वतंत्र और संयुक्त संघर्षों को और तेज़ करने का निर्णय लिया है।
प्रस्तुत ज्ञापन में तथा नुक्कड़ सभा के भाषणों में वक्ताओं ने कई बिन्दुओं से संबंधित मांगें से उठाई हैं।
चार मजदूर विरोधी लेबर कोड
चार मजदूर विरोधी लेबर कोड को निरस्त करना, 26,000 रुपये का राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन और कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम 10,000 रुपये पेंशन, सभी असंगठित श्रमिकों, ठेका कर्मचारियों, गिग और अनौपचारिक श्रमिकों की नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, कानूनी सुरक्षा तथा समान काम के लिए समान वेतन, पुरानी पेंशन योजना बहाल, सभी के लिए रोजगार, रिक्त पदों पर अविलंब नियुक्ति तथा शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम, आंगनवाड़ी और अन्य स्कीम वर्करों को कामगार का दर्जा देते हुए, वैधानिक न्यूनतम मजदूरी तथा सामाजिक सुरक्षा के साथ सरकारी पदों पर बहाली आदि मांगों के अलावे
ये मांगे
किसानों के लिए, वैधानिक एमएसपी पर कृषि उत्पादों की खरीद, सभी फसलों के लिए सरकारी बीमा योजना, बीज, उर्वरक और बिजली पर पर्याप्त सब्सिडी, उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति ,व्यापक ऋण माफी योजना, रोजगार सृजन, रिक्त पदों को भरने, मनरेगा को मजबूत करने, बिजली संशोधन विधेयक एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति वापस करना, वन अधिनियम, काश्तकारी अधिनियम और भूमि संबंधी अधिनियमों का सख्ती से क्रियान्वयन, विनिवेश और एनएमपी के प्रयासों को समाप्त करना
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए..
पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कम करने, मूल्य वृद्धि पर रोक, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए अमीर और कॉर्पोरेट पर उच्च कर लगाने तथा जन सुविधाओं के क्षेत्रों में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि सुनिश्चित करने, रांची में एचईसी लिमिटेड के पुनरुद्धार और घाटशिला में तांबा संयंत्र और खनन परिचालन को बहाल करने, आवासीय और कृषि क्षेत्रों में हाथियों से संबंधित समस्या का समाधान और मुआवजा सुनिश्चित करने संबंधी मांगे शामिल हैं,
आज के कार्यक्रम में राकेश्वर पांडेय, अंबुज कुमार, विश्वजीत देब, संजीव श्रीवास्तव, केके त्रिपाठी, परबिंदर सिंह सोहल , अंजनी कुमार, सुजय रॉय, हीरा अरकने, निगमानंद पाल,सत्येंद्र सिंह,मुकेश कुमार, सुब्रत बिस्वास, पी गुप्ता, विनय कुमार, दीप सेन आदि के नेतृत्व में सैकड़ों सदस्यों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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