क़रीब दो दशक तक आंचलिक पत्रकारिता की धुरी रहे सुदेश
सरायकेला जिले के चांडिल अनुमंडल के वरिष्ठ पत्रकार सुदेश कुमार की शनिवार देर रात हर्ट अटैक से मौत हो गई है. जिससे पत्रकारिता जगत मर्माहत है. करीब दो दशक तक आंचलिक पत्रकारिता की धुरी रहे सुदेश ने कई छोटे- बड़े मीडिया संस्थानों में अपनी सेवा दी. वर्तमान में वे अपने निजी मीडिया संस्थान वनांचल 24 लाइव का संचालन कर रहे थे. अपने पीछे पत्नी और दो छोटे- छोटे बच्चे (पुत्र) छोड़ गए हैं. इधर सुदेश कुमार के आकस्मिक निधन पर प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां के सदस्यों सहित अन्य क्षेत्र के पत्रकारों ने गहरी संवेदना प्रकट करते हुए सरकार और जिला प्रशासन से तत्काल दिवंगत पत्रकार के परिजनों को आर्थिक सहयोग की मांग की है.
आर्थिक माली हालत ठीक नहीं चल रही थी !
बताया जा रहा है कि दिवंगत पत्रकार की आर्थिक माली हालत ठीक नहीं थी. वे पिछले कुछ दिनों से तनाव के दौर से गुजर रहे थे. वे जमशेदपुर प्रेस क्लब और पत्रकार संगठन एआईएसएम के पदाधिकारी थे. मूल रूप से बिहार के बांका निवासी सुदेश जिद्दी और जुनून के पक्के इंसान थे उन्हें करीब से जानने वाले बताते हैं कि” एको अहम द्वितीयो नास्ति” के फार्मूले पर वह काम करते थे. जिस मुद्दे को ठान लिया, उस पर काम करते थे और अंजाम तक पहुंचाने तक उस पर जुटे रहते थे. जिससे कई बार उनकी संबंधित अधिकारियों, नेताओं और माफियाओं के साथ रिश्ते तनावपूर्ण भी होते रहे. बावजूद इसके उन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी. यही वजह रही कि कभी भी उन्हें उचित पारिश्रमिक नहीं मिला, कि परिवार की जरूरतों को पूरा किया जा सके.
तीन महीने पूर्व उनकी माता जी का निधन हुआ था
मुफलिसी और भविष्य बेहतर बनाने के जद्दोजहद में कर्त्तव्य पथ पर चलते हुए अंततः जिंदगी से जंग हार गए. कुदरत ने उन्हें संभलने का मौका भी नहीं दिया. तीन महीने पूर्व उनकी माता जी का निधन हुआ था. सुदेश चार भाई थे. रविवार को ही चांडिल के बामनी नदी घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया.
प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां के संरक्षक संतोष कुमार ने परिवार को हर संभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया
प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां के संरक्षक संतोष कुमार ने बताया कि सुदेश कुमार का इस तरह से चले जाना अत्यंत दु:खदाई है. उनके साथ लंबे समय से काम करने का अवसर मिला. वे स्वभाव से जिद्दी मगर पत्रकारिता के लिए बेहद ही जुनूनी व्यक्ति थे. उन्होंने दु:ख के इस घड़ी में प्रेस क्लब की ओर से परिवार को हर संभव सहयोग करने का भरोसा दिलाया. साथ ही जिला प्रशासन से ऐसे विपदा की घड़ी में पत्रकारों के परिवार के लिए आर्थिक सहयोग किया जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर वर्ग के लिए योजनाएं चलाती है मगर पत्रकारों के लिए उनके खजाने में कोई कोष नहीं है जो दुर्भाग्यपूर्ण है. जीवन भर मुफलिसी काटते पत्रकार अपने भविष्य की चिंता किए बगैर शासन- प्रशासन की खबरों का संकलन करते हैं, मगर इस तरह के आकस्मिक दुर्घटना होने से पत्रकार का पूरा परिवार बिखर जाता है.
सुदेश कुमार का बड़ा पुत्र नौवीं, जबकि छोटा पुत्र आठवीं कक्षा का छात्र है. सरकार और जिला प्रशासन को दोनों की पढ़ाई का समुचित प्रबंध और पत्नी के लिए रोजगार की कोई व्यवस्था करनी चाहिए.
इस अवसर पर प्रेस क्लब ऑफ सरायकेला- खरसावां के कार्यकारी अध्यक्ष सुमंगल कुंडू, विश्वरूप पांडा, खगेंद्र चंद्र महतो, अफरोज मल्लिक, प्रकाश कुमार, रविकांत गोप, दीपक महतो, कल्याण पात्रो, दशरथ प्रधान, विजय कुमार साव, दिलीप प्रमाणिक आदि पत्रकार मौजूद रहे.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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