सूडान में काम कर रहे भारत के कर्मचारियों को भूखा रखा जा रहा है। उनका रहना खाना पीना सब दुस्वार हो गया है | साथ ही उनके पासपोर्ट भी छीन लिए गये हैं | जिसके कारण वो भारत वापस नही आ पा रहे | जो पैसे इनके पास थे, वे भी अब तेजी से खत्म हो रहे हैं| सूडान में फंसे ये लोग देश की सबसे बड़ी सिरेमिक टाइल निर्माताओं में से एक नोबल्स ग्रुप के लिए काम करते थे| लेकिन यहां पहुंचने के बाद से ही इनका जीवन कठिन हो गया है।
अक्टूबर के समय में सैन्य तख्तापलट के बाद यहाँ के नागरिकों को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहां के सैनिक ने सारे कंपनियों पर कब्ज़ा कर लिए है और उसके मालिक मुहम्मद अल-ममौन मिडिल ईस्ट भाग खड़े हुए हैं। इस कंपनी में, 25 लोग काम कर रहे हैं और उनमें से किसी को भी वेतन नहीं मिला है साथ ही उनके welfare के लिए कुछ भी नहीं किया गया। Indian Express की खबर के मुताबिक, राजधानी Khartoum के बाहरी इलाके में अल्बागेर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अल मासा चीनी मिट्टी के बरतन कारखाने में एक भारतीय कर्मचारी मारुति राम दंडपाणि ने कहा, मुझे एक साल से मेरा वेतन नहीं मिला है और वे हमें उचित भोजन नहीं देते हैं। यहां पर काम करने वाले 41 भारतीय नागरिकों को करीब एक साल से भुगतान नहीं किया गया हैं।
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कई महीने से तनख्वा नही मिली, देख भाल भी सही नहीं।
कंपनी की नीतियों का हवाला देते हुए ऐसा किया गया और अब भारतीय कामगारों को कंपनी के मुख्यालय में बंद कर दिया गया है| कर्नाटक निवासी राजू शेट्टी ने कहा कि जब मैं पहली बार यहां आया, तो एक महीना बीत गया और हमने अपने महाप्रबंधक से वेतन मांगा| वह बहाने देती रही कि अगले महीने दे दी जाएगी| फिर और समय बीत गया| उन्होंने बताया कि कंपनी के पास फंड नहीं है| फिर चार महीने तक हमने लगातार गुहार लगाई, जिसके बाद हमें एक महीने का वेतन दिया गया।
लंबे समय से अपने ही परिवार के पैसों से कर रहे गुज़ारा
अक्टूबर के बाद हालत और बिगड़ जाने पर उनके अपने परिवार के लोग पैसे भेज रहे हैं | इन्हीं पैसो से उनका गुज़ारा चल रहा है। कंपनी द्वारा इन मजदूरों को भुगतान करना बंद करने के बाद, उनके परिवारों को भी आर्थिक रूप से संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार से गुहार लगा रहे वहां फंसे कर्मचारी | सब बहुत उम्मीद लिए बैठे हैं कि जल्द से जल्द सरकर के तरफ से राहत पहुंचाई जाये।
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