पूर्वी सिंहभूम जिले के साथ पूरे राज्य में सीपीएम ने “एचइसी बचाओ दिवस” मनाया
भारत सरकार के हैवी इंजीनियरिंग मंत्रालय की हठधर्मिता और मोदी सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र विरोधी नीतियों के कारण झारखंड का प्रतिष्ठित मदर उद्योग हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन (एचइसी) अब पुरी तरह बंद होने के कगार पर है. केंद्र सरकार भी चाहती है कि एचइसी बंद हो जाय, ताकि बाद में एचइसी की बहुमूल्य परिसंपत्ति वे अपने चहेते निजी कार्पोरेट घरानों के हवाले कर सकें. माकपा के पूर्वी सिंहभूम जिला सचिव जे पी सिंह ने एक प्रेस बयान जारी करते हुए उक्त बातें कहीं.
नीति आयोग ने पीएमओ से एचइसी को बंद किए जाने की सिफारिश की
उन्होंने कहा, कि नीति आयोग ने भी पीएमओ से एचइसी को बंद किए जाने की सिफारिश की है, जबकि एचइसी संयंत्र का आधुनिकीकरण कर और कार्यशील पूंजी का प्रावधान कर इस महत्वपूर्ण उद्योग को बचाया जा सकता है. एचइसी के पास जमीन की कमी नहीं है साथ ही वर्तमान मे रक्षा मंत्रालय और इसरो समेत कई कंपनियों से लगभग 1800 करोड़ का कार्यादेश (वर्क ऑर्डर) भी है.
एचइसी का विभिन्न प्रतिष्ठानों पर लगभग 660 करोड़ रू बकाया
जे पी सिंह ने कहा कि इसके अलावा एचइसी का विभिन्न प्रतिष्ठानों पर लगभग 660 करोड़ रू बकाया भी है, जिसमें इस राशि का बड़ा हिस्सा केवल निफ्ट के पास है. यदि यह बकाया राशि ही एचइसी को तत्काल भुगतान हो जाय, तब वह वर्तमान संकट से निकल सकता है. इस राशि से मजदूरों और अधिकारियों के बकाए वेतन का भुगतान करने के अलावा संयंत्र के लिए जरूरी साजो – सामान की खरीदारी भी हो सकती है, लेकिन केंद्र सरकार नीति आयोग की सिफारिश पर इसे बंद किए जाने का मन बना चुकी है.
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7 माह से वेतन नहीं मिलने से कामगार भुखमरी के कगार पर
जे पी सिंह ने आगे कहा कि एचइसी झारखंड की शान है और वर्तमान मे इसके सभी प्लांटों मे श्रमिकों के रूप मे काम कर रहे कामगारों मे लगभग 80 प्रतिशत कामगार राज्य के स्थानीय निवासी हैं. 7 माह से वेतन नहीं मिलने से उनके सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है. इस परिस्थिति में झारखंड सरकार को आगे आकर इस उद्योग को बचाने का काम करना होगा. माकपा राज्य की हेमंत सरकार से अपील करती है कि राज्य हित और मजदूर हित मे वो इस कारखाने का टेक ओवर कर इसे स्टेट पीएसयु के रुप मे इसका पुनरुद्धार करने का रोड मैप बनाए. एचइसी का टेक ओवर करने से राज्य सरकार को इस उद्योग के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मालिकाना हक भी मिल जायेगा. राज्य सरकार की गारंटी मिलने से बैंकों द्वारा भी एचइसी को कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी जा सकती है.
श्री सिंह ने हेमंत सरकार से एचइसी के टेकओवर की दिशा मे कदम उठाने का आग्रह किया है. राज्य सरकार को तत्काल एक सौ करोड़ रू कर्ज के रूप मे एचइसी प्रबंधन को उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि मजदूरों, अधिकारियों का बकाया वेतन दिया जा सके. साथ ही वहां के ट्रेड यूनियनों से वार्ता कर पिछले कई दिनों से जारी मजदूरों की टूल डाउन हड़ताल समाप्त करायी जाए.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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