बालिगुमा में किशोरियों ने मनाया ‘करम परब’
करम आखड़ा कमिटी, बालिगुमा के तत्वाधान में आदिवासी समुदाय का प्रकृति आधारित बीज संरक्षण का पर्व “करम परब” बालिगुमा, सुखना बस्ती करम अखाड़ा में संपन्न हुआ. बालिगुमा, सुखना बस्ती में आयोजित करम परब ने आदिवासी समुदाय की प्रकृति आधारित बीज संरक्षण की परंपरा को प्रदर्शित किया। इस परब में स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने भाग लिया और बीज संरक्षण के महत्व को समझाया।
इस वर्ष के करम परब में बीज संरक्षण के महत्व पर विशेष जोर दिया गया
करम परब एक पारंपरिक त्योहार है, जो बीज बोने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करने के लिए मनाया जाता है। इस परब के दौरान लोग विभिन्न प्रकार के आयोजनों और उत्सवों में भाग लेते हैं, जैसे कि नृत्य, संगीत, और पारंपरिक खेल। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य बीजों की गुणवत्ता की जांच करना और अगले वर्ष की फसलों के लिए आशीर्वाद मांगना है। इस वर्ष के करम परब में बीज संरक्षण के महत्व पर विशेष जोर दिया गया। स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने अपने पारंपरिक बीज संरक्षण विधियों को प्रदर्शित किया और बीजों के महत्व को समझाया।
पहले के लोग बीज खरीद कर नहीं लाते थे
एक अनोखी परंपरा के तहत कुंवारी बच्चियों ने 7 दिनों तक विभिन्न बीजों को डाली में संजोकर अंकुरित किया, जिसे जावा कहा जाता है। यह परंपरा बीजों की गुणवत्ता की जांच करने और उनकी शक्ति को बढ़ाने के लिए की जाती है। पहले के लोग बीज खरीद कर नहीं लाते थे, बल्कि बीजों को अपने घरों में ही सुरक्षित रखते थे। लेकिन आज यह परंपरा धीरे-धीरे समाप्त होते जा रही है और हम लोग मार्केट पर आश्रित हो गए हैं। यह पर्व दर्शाता है कि हम लोगों को मार्केट पर नहीं, बल्कि अपने पुरखे के परंपरा पर केंद्रित होना है। पारंपरिक बीज संरक्षण का काम हम लोगों को करना है, ताकि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित कर सकें।
इस दौरान कहा गया; “हमें अपने पारंपरिक बीज संरक्षण विधियों को संरक्षित करना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को सौंपना चाहिए।”
करम परब एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो आदिवासी समुदाय की संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करता है। हमें इसे संरक्षित करना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को सौंपना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से जया, रुम्पा, संजना, संगीता, मोनी, बर्षा, प्रीति, पिहू, ब्रिस्टी, तानी, स्वीटी, उमा, माला, शिखा, शिल्पी, शीला, शेफाली, जीत, वरुण, राकेश ने मुख्य भूमिका निभाया.
चाईर खूंट नेगचार से वार्षिक “करम परब” चांडिल क्षेत्र के घोड़ानेगी डैम कॉलोनी ग्राउंड में |
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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