हर साल वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन्स (डब्ल्यूएफटीयू) 1 सितंबर को शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है, जिस दिन नाजी जर्मनी द्वारा पोलैंड पर हमला करने के बाद द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ था। इस वर्ष भी डब्ल्यूएफटीयू से संबद्ध सीआईटीयू और अन्य ट्रेड यूनियनों ने दुनिया भर में 1 सितम्बर को विश्व शांति दिवस मनाया। इसी क्रम में आज सीटू और जमशेदपुर के बैंक, बीमा, राज्य सरकार, सेल्स प्रमोशन, रेलवे ,डाक कर्मचारी के यूनियनों और जनवादी लेखक संघ, जनवादी महिला समिति और विज्ञान संगठन जैसे विभिन्न संगठनों ने भी बिरसा चौक साकची में प्रदर्शन और नुक्कड़ सभा कर इस दिवस को मनाया।
प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से पर्यावरण को भी खतरा
वक्ताओं ने एक स्वर में विश्व में बढ़ते युद्धों और विश्व शांति के लिए खतरों के लिए अमेरिका नीत साम्राज्यवादी गुट और नाटो जैसे सैन्य गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया। वक्ताओं ने कहा कि एक ओर साम्राज्यवादी ताकतों की साजिशों के तहत मजदूरों और किसानों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है, साथ ही महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों जैसे कमजोर वर्गों पर हमले के जरिए मानव शोषण किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर साम्राज्यवादी भू-राजनीतिक प्रभुत्व के लिए युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं और अपने तथाकथित आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को भी खतरा हो रहा है।
नुक्कड़ सभा में फिलिस्तीनी जनता के प्रति एकजुटता व्यक्त की गई
नुक्कड़ सभा में फिलिस्तीनी जनता के प्रति एकजुटता व्यक्त की गई, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने वाले हत्यारे इजरायल द्वारा नरसंहारकारी हमलों और उनकी संप्रभुता में हस्तक्षेप का सामना कर रहे हैं। सभा की ओर से अमेरिका नीत साम्राज्यवाद की निन्दा करते हुए हथियारों के व्यापार, युद्धोन्माद, यूक्रेन, पाकिस्तान जैसे देशों को मोहरा बनाने के साथ-साथ विभिन्न देशों में विभाजनकारी घृणा की राजनीति को प्रायोजित करने, आर्थिक नाकाबंदी आदि के जरिए विभिन्न स्वतंत्र देशों की सरकारों को परेशान करने तथा अपने निहित स्वार्थों के लिए उनकी संप्रभुता में हस्तक्षेप को रोकने की मांग की गई।
कार्यक्रम में समाज के तबकों से इजरायल द्वारा फिलिस्तीन में किए जा रहे जातीय नरसंहार, फिलिस्तीनी भूमि पर अवैध कब्जे तथा साम्राज्यवाद प्रायोजित युद्ध अर्थव्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया गया, जिससे विश्व शांति और मानव विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
सभा में मुख्य वक्ता थे सुजय राय, सुभाष करण, तापस चट्टोराज, पारस कुमार, जया मजूमदार, आर एन ठाकुर, जेपी सिंह, पीआर गुप्ता, संजय कुमार, बी देब और केके त्रिपाठी।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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