आदिवासी कुड़मि समाज की एक बैठक आज 26 फ़रवरी को बालिगुमा में सम्पन्न हुई. बैठक में मुख्य रूप 8, 9 एवं 10 मार्च को हुलहुली टांड (हुल्हुली मैदान) पुरुलिया में आयोजित होने वाले “कुड़मालि जिआउ महा जुटान” पर चर्चा की गई और ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया.
प्रशासनिक ढीलापन और अपने ही समाज के कुछ विश्वासघाती लोगों के कारण बार-बार विफलता हाथ लग रही है-अजीत महतो
बैठक में मुख्य रूप से उपस्थित अजित महतो ने बताया कि एकबार फिर से कुड़मीयों के कुड़मालि जिआउ महाजुड़वाही हुलहुलि मैदान, पुरुलिया में आयोजित किया गया है. आजादी के बाद झारखंड राज्य के पतरातू, रांची के मौराबादी मैदान से शुरू करके झुंझका, झालदा, कुडूकतोपा से लेकर ढूढकु के ऐतिहासिक महासभाएं हुईं. हर जगह कुड़मि समुदाय कैसे अपना संवेधानिक अधिकार वापस पा सके, इसके लिए प्रयास चला. अपने संवेधानिक अधिकारों के लिए जिगीड़ जिटा गबचन छेका ( रेल टेका /डहर छेका/सड़क नाकाबंदी ), महुड़ ड़ढ़ अगुआन (दिल्ली चाला ) और लगातार कार्यक्रम का दौर जारी है, लेकिन प्रशासनिक ढीलापन और अपने ही समाज के कुछ विश्वासघाती लोगों के कारण बार-बार विफलता हाथ लग रही है.
मानव शास्त्री पहचान वाले प्रस्ताव को TRI रिपोर्ट में जानबूझकर गलत बताया गया
अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली झारखंड कैबिनेट में लिए गए निर्णय के बावजूद कुड़मियों को जनजाति बनाने का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ा. कुड़मि जनजाति के मानव शास्त्री पहचान वाले प्रस्ताव को TRI रिपोर्ट में जानबूझकर गलत बताया गया. रघुवर दास सरकार ने झारखंड के कुड़मि जनजाति के अर्जुन मुंडा के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया. वर्त्तमान सरकार की स्थिति भी कुड़मियों के लिए आशाजानक नहीं है. कई आदिवासी समुदायों ने ईसाई धर्म अपना लिया है तो कई ने हिंदु लेकिन सवाल सिर्फ कुड़मी समुदाय से ही किया जाता है. किसी समुदाय को अगर लगभग 80 सालों से अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखा जाएगा तो क्या होगा? वही कुड़मी समुदाय के साथ भी हुआ है. लेकिन हमलोग फिर से अपने जड़ो को खोजकर वहा तक पहुंचने के लिए अथक प्रयास कर रहे है.
तीन दिन के इस कार्यक्रम में करीबन 20 लाख लोगों की भागीदारी होगी
सरकार के इस तरह के व्यवहार को देखते हुए कुड़मि आदिवासी समुदाय के लोगों को आगे आंदोलन का दशा और दिशा देने के लिए 8,9 और 10 मार्च को लाखों लगभग 10 लाख कुड़मि हुल हुलि टांड, पुरुलिया में जुटेंगे. इस महाजुटान में हित मितान सह कुड़मि नामधारी सभी संगठनों के नेतृत्वकर्ता, समर्थक राजनैतिक मतभेद भुलाकर इस कार्यक्रम में पहुंचे. साथ ही पूर्व एवं वर्त्तमान सांसदों एवं विधायकों को भी बुलाया जा रहा है. तीन दिन के इस कार्यक्रम में करीबन 20 लाख लोगों की भागीदारी होगी. रात में रहने के लिए 20 हजार लोगों का व्यवस्था किया गया है. कार्यक्रम में ओड़िसा, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम, बांग्लादेश समेत अन्य राज्य के लोग जुटेंगे.
कार्यक्रम में तीन मांगों पर मुख्य रूप से चर्चा की जाएगी
कुड़मी को पुनः ST सूची में शामिल किया जाए.
कुड़मालि को आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए.
सरना धर्म कोड लागु किया जाए.
कार्यक्रम में अजित महतो, संतोष साधुबाबा, डॉ. सुजीत महतो, जयराम महतो, माधब महतो, सुनील महतो, देवाशीष महतो, लखन महतो, दीपक रंजीत, सुनील महतो आदि लोग मुख्यरूप से उपस्थित थे.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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