जब रोज़ मर्रा में आने वाली चीजों के दाम बढ़ जाते हैं तो जनता की जेब की में बहुत बोझ आ जाता है | जनता अपनी ज़रूरत और जेब की इस लड़ाई में हारती नज़र आती है | खास कर खाध तेल, पेट्रोल, ईंधन, रसोई के सामान और कई अन्य रोज़ काम आने वाले सामान मेहेंगे होने पे आम आदमी के आंसू निकल पड़ते हैं |
लोगों अब ये डर सताने लगा है कि क्या आने वाले वर्ष में सामानों के दाम कैसे होंगे और क्या आम जनता की पहुँच सामानों तक होगी या नही |
नए साल में दामों के आसार
जहाँ तक इस साल लोगों ने महंगाई का मार सहा है वहीँ आने वाले साल में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है | वर्ष 2021 उपभोक्ताओं के लिहाज से खराब रहा है वहीँ बढ़ती कीमतों के अलावा लोगों को बेरोज़गारी, आय का न होना और कारोबार में नुकसान का सामना करना पड़ा| जिंस (manufactured or processed), परिवहन तथा रसोई गैस, सब्जी-फल, दाल एवं अन्य वस्तुओं की कीमतें कच्चा माल महंगा होने के कारण बढ़ गईं| हालांकि, अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे आर्थिक पुनरुद्धार (economic revival) हो रहा है|
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थोक और रिटेल दोनों हुई महेंगी
कई मैन्युफैक्चर्ड कच्चे माल की उच्च लागत का भार उत्पादकों ने उपभोक्ताओं पर डाल दिया | जिसके कारण थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति (Wholesale Price Index) नवंबर में अब तक के सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गई जबकि खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) भी अधिक रही|
अच्छे मानसून का लाभ
इस वर्ष खाद्य तेलों के दाम भी 180-200 रुपए लीटर पर पहुंच गए| हालांकि आगे चलकर आर्थिक वृद्धि में धीरे-धीरे सुधार और सामान्य मानसून के कारण अच्छी फसल की उम्मीद है जो शायद आगे चलकर कीमतों को कम करने में मदद कर सकती है |
RBI के लिए जरूरी खुदरा महंगाई दर
रिजर्व बैंक रेपो दर की समीक्षा के लिए खुदरा मुद्रास्फ्रीति को मुख्य कारक के रूप में देखता है| उसका अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अगले वर्ष की पहली छमाही में करीब पांच फीसदी रहेगी| जनवरी, 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति चार फीसदी से कुछ अधिक थी और इस वर्ष यह दो बार छह फीसदी को लांघ चुकी है| हालांकि, नवंबर में यह पांच फीसदी से नीचे आ गई|
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नवंबर में 14.23 फीसदी थोक महंगाई दर
दूसरी ओर, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 14.23 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई| 2020 में यह 2.29 फीसदी थी| सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) के चेयरमैन सुरेश नागपाल ने कहा कि बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए सरकार ने कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कई बार घटाया है |
घटेंगी जिंस की कीमत 2022 में
यस बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन ने बताया कि वो उम्मीद करते हैं कि वृद्धि के सामान्य होने के साथ, जिंसों की कीमतें कम होने की संभावना है | जो भारत की मुद्रास्फीति के लिए फायदेमंद साबित होगा| वैश्विक खाद्य कीमतें अधिक हैं लेकिन इसका भारत पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत में अनाज का पर्याप्त बफर स्टॉक है|
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