स्वामी विवेकानंद भारत को पूरे जगत के सामने महान सिद्ध करने में सफल हुए थे
भारत एक महान देश है इसे महान बनाने का श्रेय उन मनीषियों को है, जिन्होंने तप, त्याग एवं बलिदान के पथ पर बढ़कर देश की सोई हुई आत्मा को जगाया। उन्ही में से एक हैं हमारे सर्वप्रिय स्वामी विवेकानंद। विवेकानंद एक महान विभूति थे, जिन्होंने भारत और भारत वासियों को अपने संस्कार तथा धर्म पर गर्व करना सिखाया । हम अंग्रेज के शासनकाल में उनके दास बन कर निरंतर झुकते ही चले जा रहे थे और स्वयं को अत्यंत हीन एवं तुच्छ समझते थे। असल में हमें अपनी भारतीय संस्कृति की महानता का पता ही नहीं था। स्वामी विवेकानंद भारत को पूरे जगत के सामने महान सिद्ध करने में सफल हुए थे।
रामकृष्ण परमहंस के परम प्रिय शिष्य स्वामी विवेकानंद का आगमन इस संसार में 12 जनवरी 1863 को एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता एक जाने-माने वकील थे। वे बाल्य काल से ही बहुत तेजस्वी व तिख्न बुद्धि थे। उनका बाल्य काल का नाम नरेंद्र नाथ था।
नौका जल में रह सकती है, किंतु जल नौका में नहीं रहना चाहिए
स्वामी विवेकानंद ने मोहमाया के प्रतीक विचारों को स्पष्ट कर कहा था, नौका जल में रह सकती है, किंतु जल नौका में नहीं रहना चाहिए।’ इसी प्रकार साधक संसार में रहे, परंतु संसार का माया मोह साधक के मन में नहीं रहना चाहिए। क्षेत्र में ज्ञान का प्रकाश जगाने के लिए उन्होंने अनेक कष्ट झेले। पहले अपने ही देश में घूम-घूम कर लोगों को अपनी ही संस्कृति के ज्ञान का धर्म के ज्ञान का एहसास करने का प्रयत्न किया। उनके अनुसार सभी मनुष्य बराबर हैं न कोई तुच्छ न महान। स्वामी विवेकानंद सन् 1893 में विश्व धर्म परिषद पर भारत के धर्म प्रतिनिधित्व के रूप में सम्मिलित होने के लिए शिकागो गए।
तुम्हारा धर्म ग्रंथ सबसे नीचे है, अतः तुम सबसे अंत में बोलोगे
उस सम्मेलन में भारत,जो उस समय एक गुलाम देश था, के धर्म और उसके प्रतिनिधित्व का कोई महत्व नहीं था। वहां अधिकांश लोग भारतीयता का उपहास कर रहे थे। अपनी संस्कृति एवं धर्म की असहनीय आलोचना सुनकर उन्होंने अपने क्रोध को प्रकट नहीं किया, बल्कि जब वे बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने वहां उपस्थित लोगों को मेरे प्यारे अमेरिका के भाइयों एवं बहनों कहकर संबोधित किया। जो लोग उनका यह कहकर मजाक उड़ा रहे थे कि तुम्हारा धर्म ग्रंथ सबसे नीचे है, अतः तुम सबसे अंत में बोलोगे अपने प्रति ऐसा आत्मीयतापूर्ण तथा मधुर संबोधन सुनकर लज्जित हो गए।
भारतीय संस्कृति महान तथा सर्व संस्कृतियों का आधार है-स्वामी विवेकानंद
स्वामी जी ने सबसे नीचे रखी गीता को मात्र हल्का सा हिला दिया तो सारी की सारी धर्म पुस्तकें डगमगा गई। उपस्थित जनसमूह अवाक रह गया। जब स्वामी जी ने कहा, ‘हमारा धर्म ग्रंथ सबसे नीचे है, इसका मतलब यह नहीं कि यह सबसे छोटा है अपितु सबकी संस्कृति का मूल रूप सब धर्मों का आधार हमारा धर्म ग्रंथ ही है। यदि मैं इसे हटा लूं तो आपके सभी ग्रंथ गिर जाएंगे। अतः भारतीय संस्कृति महान है तथा सर्व संस्कृतियों का आधार है।’ तब सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उनके प्रेम व मिठास भरे अद्भुत वचन सुन तेजमय वाणी एवं व्यक्तित्व को देख कोई विदेशी भी उनके अनुयायी बन गए।
स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति की गरिमा को बनाए रखने में लगा दिया अपना संपूर्ण जीवन
इस तरह स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति की गरिमा को बनाए रखने में अपना पूर्ण जीवन लगा दिया एवं निरंतर अपने गुरु श्री स्वामी रामकृष्ण परमहंस की शिक्षा ईश्वर तो एक है, परन्तु उसके नाम व भाव अनन्त हैं जो जिस भाव से उसकी आराधना करता है वह उसी भाव से उसे दर्शन देता है का प्रचार करते हुए 20 जनवरी 1902 को उनका देहावसान हुआ।
जिसने नयी आभा दी है इस मानव जगत को,
श्रद्धा युक्त प्रणाम है मेरा उस विभुति को।।
उज्जवल कुमार मंडल
(लेखक एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं)
Potka : राष्ट्रीय युवा दिवस पर ‘युवा’ ने मनाया स्थापना दिवस, किशोरियों के बीच प्रतियोगिताएं आयोजित
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!