मछली पालन ग्रामीणो के लिए बेहतर आय का स्त्रोत बन सकता है. किसान अगर मछली पालन सही तरीके से करें और उनके पास पानी का बढ़िया स्त्रोत हो तो मछली पालन उनकी आजीविका का साधन बन सकता है और वो एक बेहतर जिंदगी जी सकते हैं.
RURBAN मिशन के तहत रामगढ़ जिला कृषि विभाग द्वारा इसी पहल के तहत किसानों को मछली पालन से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्हें मछली पालन के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
रामगढ़ जिले के पतरातु प्रखंड के बीचा पंचायत में श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुअर्बन मिशन के अंतर्गत एक्वाकल्चर प्रमोशन योजना के तहत तीन दिवसीय मत्स्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान किसानों को मछली पालन और सघन मछली पालन के बारे में बताया गया. रामगढ़ जिला के मत्स्य प्रसार पदाधिकारी धनराज कापसे ने किसानों को प्रशिक्षण देते हुए उन्हें मछली पालन से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी दी.
धनराज कापसे ने बताया कि बीचा पंचायत की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ही इसक चयन किया गया है. उन्होंने बताया कि शहर से दूर और जंगलों से घिरे होने के कारण यहां पर रोजगार के साधन नहीं थे. यहां पर लेफ्ट विंग हावी था. जबकि इस गांव में मछली पालन की संभावनाएं बहुत थी. गांव के बीचों-बीच एक नदी होकर गुजरती है. इसके कारण गांव में सालोंभर पानी उपलब्ध रहता है. गांव में लगभग 20 से 25 की संख्या में छोटे बड़े तालाब है. जिनका इस्तेमाल जीरा उत्पादन के लिए किया जा सकता है. इस तरह से पूरा गांव जीरा उत्पादन कर आगे बढ़ सकता है. धनराज कापसे ने कहा कि इस तरह से बीचा की पहचान बीज गांव के तौर पर हो जाएगी.
मछली का आकार महत्वपूर्ण
किसानों को मछली पालन की ट्रेनिंग के दौरान बताया गया कि एक एकड़ के तालाब में चार हजार मछली का पालन किया जा सकता है. पर इसमें मछली का आकार बेहद मायने रखता है. अगर किसान चाहता है कि बड़ी मछली तालाब से निकालकर बेचें तो यहां पर किसान सिर्फ चार हजार मछली ही डालें, पर अगर किसान छोटी मछली की निकालकर बेचना चाहते हैं को मछलियों की संख्या बढ़ाकर आठ हजार कर सकते हैं.
आधुनिक मछली पालन क्या होता है
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को आधुनिक मछली पालन के के बारे में बताते हुए बताया कि आधुनिक तरीके से मत्स्य पालन में किसान को पता रहेगा की तालाब कितना लंबा चौड़ा गहरा है. इसके लिए किसानो को बेहतर तरीके से तालाब को तैयार करना पड़ता है. तालाब सूख जाने के बाद उसके सतह को अच्छे से जुताई करना चाहिए. इसके बाद इसमें 250 किलो चूना प्रति एकड़ का छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद तालाब में कम से कम पांच फीट पानी भरकर उसमें मछली पालन करना चाहिए. साथ ही तालाब से सही नाम के लिए अंदर अदर का नाप लेना चाहिए इससे क्षेत्रफल की जानकारी मिल जाती है. इस तरह से गहराई नाप सकते हैं इससे किसान जान सकते हैं कि तालाब में कितना पानी है. इसके अलावा किसानों को एक्सटेंसिव फार्मिंग, नर्सरी तालाब का प्रबंधन, मिश्रित मत्स्य पालन जैसे चीजों के बारे में किसानों को बताया गया.
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