झारखंड के 16 जिलों के सदर अस्पताल में प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस प्रोग्राम के तहत डायलिसिस की सेवा दी जाती है. लेकिन, सात जिलों के सदर अस्पतालों में डायलिसिस सेवा बंद हो गई है. किडनी के मरीजों को इस सेवा के बंद होने से भारी परेशानी हो रही है.
डायलिसिस सेवा बंद होने की वजह कंपनी और सरकार के बीच बकाया राशि का विवाद बताया जा रहा है. कंपनी का कहना है कि सरकार ने उन्हें बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है, इसलिए उन्होंने डायलिसिस सेवा बंद कर दी है. वहीं, सरकार का कहना है कि कंपनी समय पर बिल जमा नहीं करती है, इसलिए भुगतान नहीं किया जा रहा है.
रांची के सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि डायलिसिस एक इमरजेंसी सेवा है. कंपनी इस सेवा को किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.
रांची के निजामनगर, छोटा तालाब निवासी मोहम्मद मुस्तफा अंसारी के बेटे इलताफ हुसैन ने बताया कि मंगलवार को मरीज को लेकर डायलिसिस के लिए सदर अस्पताल गए थे. डायलिसिस नहीं हुआ. बुधवार को भी आए हैं, डायलिसिस नहीं हो रहा है. गैरजिम्मेदाराना तरीके से इमरजेंसी सेवा को बंद कर देने से मरीज की जान पर बन आयी है.
बरियातू निवासी रामनरेश पासवान ने बताया कि सदर अस्पताल में बीते तीन दिनों से डायलिसिस केंद्र बंद है. इस कारण प्राइवेट सेंटर का रुख करना पड़ा. हमें प्रति डायलिसिस 2500 रुपए खर्च करने पड़ते हैं. इतनी हैसियत नहीं है. क्या करें समझ में नहीं आ रहा.
रांची सदर अस्पताल में 700 से 800 बार होती है डायलिसिस
रांची के सदर अस्पताल के डायलिसिस सेंटर में 700 से 800 बार महीने में डायलिसिस होती है. औसतन एक मरीज को सप्ताह में दो से तीन बार डायलिसिस की जरूरत पड़ती है. बता दें कि इस केंद्र में 46 किडनी के पीड़ित मरीज अपना डायलिसिस करवाते हैं.
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