CITU एवं अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के बैनर तले अखिल भारतीय कार्यक्रम ” सार्वजनिक उपक्रम बचाओ”(पीएसयू बचाओ) दिवस मनाया गया
“देश बचाओ-जनता बचाओ” नारे के साथ सीटू और किसान सभा के बैनर तले मजदूरों और किसानों की चल रही देशव्यापी स्वतंत्र और संयुक्त गतिविधियों के तहत आज 3 नवंबर को देशव्यापी ” सार्वजनिक उपक्रम बचाओ”(पीएसयू बचाओ) दिवस मनाया गया। इस देशव्यापी कार्यक्रम के तहत 3 नवंबर को विभिन्न रेलवे स्टेशनों के सामने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया और सामान्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को रोकने और विशेष रूप से रेलवे और बिजली क्षेत्रों के निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द करने की मांग उठाया गया । इस कार्यक्रम के तहत जमशेदपुर में टाटानगर रेलवे स्टेशन के सामने सुबह 9 बजे से प्रदर्शन किया गया। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में भी ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन किया गया।
रेलवे और बिजली विभाग के तमाम खाली पड़े पदों पर अविलम्ब बहाली करने की मांग
धरना-प्रदर्शन के माध्यम से, भारतीय रेल सहित तमाम सार्वजनिक उपक्रमों और सेवाओं का निजीकरण तथा राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना रद्द करने ; प्रस्ताबित बिजली बिल वापस तथा बिजली वितरण क्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगाने जैसी बाजार आधारित सुधारों के सभी कदम वापस लेने; सार्वजनिक परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य सेवाओं को सुदृढीकरण एवं सुलभता सुनिश्चित करने हेतु अति अमीरों के काँरपोरेट टैक्स में बढ़ोतरी और सम्पत्ति कर लागु करने; रेलवे और बिजली विभाग के तमाम खाली पड़े पदों पर अविलम्ब बहाली करने ; जैसी मांगें उठाई गईं।
केंद्र सरकार द्वारा कई हथकंडे अपनाए जा रहे हैं
सीटू झारखंड के महासचिव विश्वजीत देब ने बताया कि जनता के करों से से बने भारतीय रेलवे की ₹5 लाख करोड़ की संपत्ति को अपने कॉर्पोरेट मित्रों के हाथों में सौंपने की साजिश के तहत केंद्र सरकार द्वारा कई हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं जो रेलवे के आम यात्रियों के हित के खिलाफ है. उनमें से कुछ हैं वरिष्ठ नागरिक रियायत को वापस लेना, कम किराए वाली बर्थ और कोचों की संख्या कम करना, बंदे भारत एक्सप्रेस और निजी मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों को प्राथमिकता देना, रेलवे प्लेटफार्मों आदि का मुद्रीकरण, गतिशील किराया शुरू करना, टिकट रद्दीकरण और प्लेटफार्म टिकटों की दर में वृद्धि आदि। इनके अलावा रेलवे में लगभग 3.5 लाख की रिक्तियां, कर्मचारियों के हितों के साथ-साथ आम जनता के जीवन और संपत्तियों के भी खिलाफ हैं।
यदि रेलवे सेवाओं की सब्सिडी वापस ले ली गई, तो…
यह कहा गया कि जैसा कि वर्तमान सरकार द्वारा योजना बनाई जा रही, यदि रेलवे सेवाओं की सब्सिडी वापस ले ली गई, तो सवारी ट्रेन का किराया न्यूनतम दोगुना और माल ढुलाई की किराया तीन गुना बढ़ जाएगा। इस तरहअगर सरकार की योजना लागू होने से रेलवे सेवा देश की अधिकांश जनता की पहुंच से बाहर हो जाएगी। सीटू एवं किसान सभा की ओर से बिजली और रेलवे के निजीकरण करने की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ एक मजबूत देशव्यापी आंदोलन विकसित करने के लिए सभी तबकों के जनता, संबंधित उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों और सभी समान विचारधारा वाले जन संगठनों से इस अभियान और संघर्ष में शामिल होने का आह्वान किया गया।
आज के कार्यक्रम में केके त्रिपाठी, जेपी सिंह, नागराजू, टीटी मुखर्जी, पी गुप्ता, केपी सिंह तापस चट्टराज आदि के नेतृत्व में बड़ी संख्या में सदस्य शामिल हुए.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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