पश्चिम बंगाल के सिंगूर में टाटा मोटर्स के नैनो प्लांट को लेकर हुए जमीन विवाद में टाटा मोटर्स को बड़ी जीत मिली है। एक पंचाट ने फैसला सुनाया है कि टाटा मोटर्स को बंगाल सरकार से ₹766 करोड़ की क्षतिपूर्ति मिलनी चाहिए।
टाटा मोटर्स ने 2007 में सिंगूर में नैनो प्लांट स्थापित करने के लिए जमीन ली थी। लेकिन, तत्कालीन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2008 में इस परियोजना का विरोध किया और किसानों को जमीन वापस दिलाने का वादा किया। इसके बाद ममता बनर्जी की सरकार ने कानून बनाकर सिंगूर की जमीन किसानों को वापस कर दी।
Singur Plant case | Tata Motors says, "The aforesaid pending arbitral proceedings before a three-member Arbitral Tribunal has now been finally disposed of by a unanimous award in favour of Tata Motors Limited (TML) whereby the claimant (TML) has been held to be entitled to… pic.twitter.com/ivr34191GM
— ANI (@ANI) October 30, 2023
टाटा मोटर्स ने इस कानून को चुनौती दी और कहा कि जमीन अधिग्रहण अवैध था। 2012 में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया। लेकिन, उच्च न्यायालय ने टाटा मोटर्स को जमीन का कब्जा वापस नहीं दिया।
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सिंगूर में भूमि अधिग्रहण को अवैध घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमीन अधिग्रहण किसानों की सहमति के बिना किया गया था।
इसके बाद टाटा मोटर्स ने जमीन के लीज समझौते के एक क्लॉज का हवाला देकर क्षतिपूर्ति की मांग की। इस क्लॉज में था कि जमीन अधिग्रहण को अवैध माना जाता है, तो राज्य कंपनी को साइट पर होने वाली पूंजीगत लागत के लिए क्षतिपूर्ति करेगा।
टाटा मोटर्स ने मध्यस्थता की मांग की और अपना दावा दायर किया। पंचाट ने सोमवार को फैसला सुनाया और टाटा मोटर्स के पक्ष में फैसला दिया।
पंचायत ने कहा कि टाटा मोटर्स को ₹765.78 करोड़ की क्षतिपूर्ति दी जानी चाहिए। इस राशि पर 11% प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी देय होगा।
टाटा मोटर्स ने फैसले का स्वागत किया है। कंपनी ने कहा कि यह फैसला न्याय के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
विवाद का इतिहास
टाटा मोटर्स ने 2007 में सिंगूर में नैनो प्लांट स्थापित करने के लिए जमीन ली थी। इस परियोजना से 13,000 किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी।
ममता बनर्जी ने तब विपक्ष में थीं और इस परियोजना का विरोध कर रही थीं। ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद उन्होंने इस परियोजना को बंद करवा दिया और किसानों को जमीन वापस कर दी।
इस फैसले से टाटा मोटर्स को भारी नुकसान हुआ। कंपनी ने नैनो प्लांट को गुजरात के साणंद में स्थानांतरित किया। लेकिन, यह प्रोजेक्ट सफल नहीं रहा और कंपनी ने इसे बंद कर दिया।
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