बेंगलुरु का ये मर्डर केस किसी क्राइम थ्रिलर फिल्म जैसा है. तारीख थी 10 अगस्त और साल था 2010. घड़ी में सुबह के 7.30 बज रहे थे. बेंगलुरु के हुलीमावु पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर ए.आर बालाराम गौड़ा (AR Balarame Gowda) अभी अपनी सीट पर बैठे ही थे कि फोन की घंटी बजी. एक मर्डर की सूचना थी. इंस्पेक्टर गौड़ा अपनी टीम के साथ फौरन घटना स्थल पर पहुंचे. वहां एक कुर्सी पर महिला की लाश पड़ी थी. ऐसा लग रह था जैसे महिला कुर्सी पर बैठी कुछ सोच रही है और अभी उठ खड़ी होगी.
क्या है मर्डर की कहानी?
लाश के करीब महिला का पति सतीश खड़ा था. पुलिस उससे कुछ पूछती, इससे पहले ही वह पूरा वाकया बयान करने लगा. सतीश ने कहा कि घर से करीब सवा लाख रुपए के जेवर और 2 लाख रुपये कैश भी गायब हैं. सतीश ने कहा कि वह सुबह जॉगिंग के लिए निकला था. इसी दौरान उसकी पत्नी प्रियंका का फोन आया और उसने कहा कि दो लोग घर पर आए हैं और खुद को अखबार वाला बता रहे हैं. सतीश के मुताबिक उसने अपनी पत्नी से कहा कि जब तक मैं घर न लौटूं, तब तक दरवाजा न खोले और करीब 45 मिनट बाद जब वह घर लौटा तो प्रियंका की लाश मिली.
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में इंस्पेक्टर गौड़ा उस घटना को याद करते हुए कहते हैं कि हम लोग सबूत जुटा रहे थे. जिस वक्त वारदात हुई थी, उस वक्त घर अंदर से लॉक था. सतीश के पास एक और चाबी थी, जिसे वह अपने ऑफिस में रखता था. उसने कहा कि जब वह जॉगिंग से घर लौटा और दरवाजा नहीं खुला तो, वापस अपने दफ्तर इन्फोसिस गया और वहां से चाबी लेकर आया.
पुलिस को कैसे हुआ सतीश पर शक?
पुलिस ने छानबीन की तो पता लगा कि सतीश अपने ऑफिस गया भी था. लेकिन पुलिस को यहीं शक हुआ. जांच में पता चला कि ऑफिस में घुसने के लिए आईडी कार्ड की जरूरत होती है, जो बायोमेट्रिक से अटैच है. इंस्पेक्टर गौड़ा कहते हैं कि सुबह जॉगिंग के वक्त कोई अपना आईडी कार्ड लेकर क्यों जाएगा? दूसरी बात अगर सतीश की पत्नी प्रियंका ने उसे फोन किया तो उसने अखबार वालों को बाहर रोकने को क्यों कहा और 45 मिनट की देरी से क्यों लौटा? यहीं से वह हमारे रडार पर आया.
पुलिस स्टेशन में ड्रामा
पुलिस जांच कर ही रही थी. इसी बीच एक और ड्रामा हुआ. सतीश पुलिस स्टेशन के बाहर धरने पर बैठ गया और कहा कि तीन दिन बीत गए हैं, लेकिन अभी तक पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला है. पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया. सतीश इन्फोसिस में मैनेजर की नौकरी करता था, जबकि उसकी पत्नी प्रियंका दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाती थी.
चाकू, रस्सी, ग्लव्स और सिगरेट
पुलिस के मुताबिक सतीश ने लंबी प्लानिंग के बाद सोच-समझकर घटना को अंजाम दिया था. घटना से ठीक पहले उसने एक चाकू, नायलॉन की रस्सी, ग्लव्स और सिगरेट खरीदी. मर्डर से तीन दिन पहले सतीश ने सरप्राइज के तौर पर प्रियंका को उसकी फोटोज का फ्रेम गिफ्ट के तौर पर दिया. पहले प्रियंका को कुर्सी पर बैठाया, उसकी आंखें बंद कर दीं और फिर हाथ में गिफ्ट थमाया. सतीश ने प्रियंका से वादा किया कि हफ्ते भर के अंदर एक और खूबसूरत गिफ्ट देगा.
सरप्राइज देने के लिए कुर्सी पर बैठाया और…
पुलिस के मुताबिक 10 अगस्त को वारदात वाले दिन सतीश ने प्रियंका को सुबह 5 बजे जगाया. उसकी आंखों पर कपड़ा बांधा और कुर्सी पर बैठा दिया. कहा कि गिफ्ट देगा. प्रियंका को लगा कि इस बार सतीश उसे डायमंड नेकलेस दे रहा है, लेकिन अगले ही मिनट सतीश ने नायलॉन की रस्सी से उसका गला घोट दिया और फिर चाकू से गला रेत दिया.
आखिर क्यों किया था मर्डर?
सतीश मूल रूप से बेंगलुरु का ही रहने वाला था और यहीं से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. जबकि प्रियंका उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी. दोनों की साल 2007 में शादी हुई थी. शादी के ठीक बाद दोनों के बीच तल्खी शुरू हो गई. सतीश अपने गले में एक लॉकेट पहनता था, जिसमें उसके पैरेंट्स की तस्वीर थी. प्रियंका ने पहले उसे लॉकेट को हटाने को मजबूर किया. थोड़े दिनों सतीश से पैरेंट्स का घर छोड़कर अलग रहने को कहा.
सतीश ने पुलिस के सामने कबूला कि प्रियंका अपने पैरेंट्स से तो डेली बात करती थी, लेकिन मुझे अपने माता-पिता से बात करने से रोकती थी. शादी के कुछ दिनों बाद सतीश ने एक जमीन खरीदी और जब इसकी पूजा रखी तो अपने माता-पिता को भी बुलाया. इसको लेकर प्रियंका से काफी लड़ाई हुई. प्रियंका ने कथित तौर पर उसके माता-पिता को घर से भगा दिया. पुलिस के मुताबिक वह बात सतीश के मन में इतना चुभ गई थी कि उसी दिन प्रियंका के मर्डर का प्लान बना लिया था.
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