कोलकाता के Best दुर्गा पूजा पंडालों के बारे में हम फिर किसी दिन बात करेंगे लेकिन आज हम आपको 10 ऐसे फेमस दुर्गा पूजा पंडाल और उनके थीम के बारे में बता रहे हैं, जो काफी सुन्दर बनाए जाते हैं और यहां मां दुर्गा की मूर्ति के दर्शन करने के लिए बहुत लंबी लाइन भी नहीं लगानी पड़ती है।
कोलकाता के इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो दमदम इलाके में है, पर उतरने के बाद किसी भी विदेशी नागरिक के लिए एयरपोर्ट 1 No. गेट महानगर के प्रवेश द्वार की तरह काम करता है। इस समय महानगर में चल रहा महोत्सव, दुर्गा पूजा, वास्तव में क्या है? कैसे कोलकाता में यह उत्सव की तरह मनाया जाने वाला त्योहार है? इन सब चीजों की जानकारी इस पूजा पंडाल में दी जाएगी, जो इसका थीम भी है।
पूजा पंडाल परिसर में प्रवेश करते ही एक विशाल मिट्टी का चुल्हा दिखाई देगा, जो इस बात का प्रतीक है कि मां आनंदमई अन्नपूर्णा अपने सभी बच्चों के लिए खाना पका रही हैं। त्योहारों पर किसी को खाली पेट नहीं रखा जाता। दुर्गा पूजा पंडाल के पास ही मौजूद काली और हनुमान मंदिर में नवरात्रि के दिनों में भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
कोलकाता के बाकी सभी दुर्गा पूजा पंडालों से यह काफी अलग है। इस दुर्गा पूजा पंडाल में उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में वैसी जानकारियां उपलब्ध करवायी गयी हैं, जो आसानी से उपलब्ध नहीं है। इसमें मुख्य रूप से सुभाष चंद्र बोस और कई महिला स्वतंत्रता सेनानी का नाम भी शामिल है। इस साल दमदम तरुण दल दुर्गा पूजा पंडाल ने 45 सालों का सफर पूरा कर लिया है।
पूजा पंडाल के प्रवेश द्वार में उस विमान का कॉकपिट बनाया गया है जिसमें कथित तौर पर सवार होकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रवाना हुए थे और उस विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी। इसके अलावा उन सभी जगहों के नाम भी यहां बताएं गये हैं, जहां-जहां आजाद हिंद फौज को तैयार करते समय सुभाष चंद्र बोस गये थे।
पड़ोसी देश श्रीलंका कैसा है, वहां कौन सी घटनाएं घट रही हैं? इन सबकी जानकारी हमें बस अखबार और समाचारों से ही मिलती है। लेकिन वहां की संस्कृति, उत्सव और त्योहारों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया जाता है। आसान शब्दों में अगर कहा जाए तो दमदम नवपल्ली स्पोर्टिंग क्लब ने इस बार अपने दुर्गा पूजा पंडाल का थीम श्रीलंका के उत्सव और संस्कृति को बनाया है।
नारस की गंगा, गंगा में आने वाले ज्वार-भाटा, गंगा के घाट, खुला आसमान और आसमान में टिमटिमाते असंख्य तारे। सूर्यास्त के बाद गंगा में डूबकी लगाते साधुओं की टोली तो गंगा के घाट पर स्नान करने के बाद खुद को सुखाते व्यक्ति। इस दुर्गा पूजा पंडाल में आपको यह सब देखने को मिलेगा। डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर इन सभी को बिल्कुल जीवंत तरीके से पूजा पंडाल में सजाया गया है। काशी के घाट की दिवारों को साधुओं की ऑयल पेंटिंग से सजाया गया है जिनकी ऊंचाई करीब 12 से 14 फीट है। दुर्गा पूजा पंडाल में लगातार स्पीकर बॉक्स में संस्कृत में मंत्रों को बजाया जाएगा।
मोक्ष क्या है, मोक्ष प्राप्त करने का सरल उपाय क्या है? आम जिंदगी में हम इन सवालों के बारे में नहीं सोचते हैं। लेकिन इस दुर्गा पूजा पंडाल में थीम के माध्यम से कलाकार बड़े ही सरल तरीके से मोक्ष प्राप्त करने का तरीका समझा रहे हैं। वाराणसी, जहां जीवन और मृत्यु दोनों को भी शुभ माना जाता है। दुर्गा पूजा पंडाल में वाराणसी के गंगा घाटों को बड़ी ही सफाई के साथ उकेरने की कोशिश की गयी है। इन्हें देखकर एक पल के लिए ऐसा लगेगा कि आप वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर खड़े हैं और सामने वाराणसी के पुराने मकानों की पंक्तियां हैं।
आज के समय में बचपन पूरी तरह से मोबाइल की स्क्रीन से बंधकर रह गया है। हर घर में बस एक ही बात की चर्चा होती है, मोबाइल की लत से बच्चों को कैसे आजाद करवाया जाए? परिजनों की इसी चिंता को बतौर थीम इस पूजा पंडाल को तैयार किया गया है। पूजा पंडाल में चारों तरफ बस हजारों मोबाइल के स्क्रीन ही चमकते दिखाई देंगे जो इस बात को दर्शाते हैं कि बच्चों की दुनिया इसमें ही उलझकर रह गयी है। सिर के ऊपर हजारों तारों से भरा आसमान तो है लेकिन बच्चों की नजरें हमेशा नीचे स्क्रीन पर ही टिकी रहती है।
रोजमर्रा की जिंदगी में क्या हम आमने-सामने बैठकर एक-दूसरे से अपने दिल का हाल बांटते हैं या बस मैसेंजर और व्हाट्स ऐप पर एक मैसेज डालकर इसे अपनी ड्यूटी पूरी कर लेना मानते हैं? अगर आपका यह काम करते हैं तो इस दुर्गा पूजा पंडाल में खुद मां दुर्गा आपको अपने बैठाकर यह सवाल पूछने वाली हैं। दुर्गा पूजा पंडाल में दो विशालकाय करीब 20 फुट ऊंची कुर्सियां बनायी गयी हैं, जिनमें से एक पर आपको बैठाया जाएगा और दूसरे पर एक आइने के प्रतिबिंब के जरिए मां दुर्गा आपसे मुखातिब होंगी। बगल में ही एक जमींदार घर के बराम्दे से झांकते हुए मां दुर्गा के चारों बच्चे (लक्ष्मी, गणेश, सरस्वती, कार्तिकेय) भी आपसे यहीं सवाल पूछेंगे।
आज के समय दुनिया भले ही चांद पर पहुंच जाए लेकिन महिलाओं में होने वाले मासिक धर्म को एक टैबू के तौर पर देखा जाता है। हालांकि मेडिकल साइंस कहता है कि जब एक एक महिला को मासिक धर्म नहीं होगा, वह मां नहीं बन सकती है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को ना तो पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जाती है और ना ही उन्हें किसी भी मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार होता है। इन्हीं मुद्दों के प्रति जागरूकता जगाने के उद्देश्य से ही दुर्गा पूजा पंडाल को इस थीम पर सजाया जा रहा है।
सृष्टि के आरंभ से लेकर अभी तक लगातार जितने परिवर्तनों से गुजर चुकी है, उन सभी परिवर्तनों को इस दुर्गा पूजा पंडाल की थीम के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है। सिर्फ अतित में हो चुके परिवर्तन ही नहीं बल्कि भविष्य की पृथ्वी की झलक दिखाने का प्रयास किया जाएगा। दुर्गा पूजा पंडाल को कैनवस पेंटिंग, फाइबर और ग्लास से सजाया गया है। करीब 81 प्रकार की सामग्रियों का इस्तेमाल कर दुर्गा पूजा पंडाल में पृथ्वी पर हुए अतित और भविष्य के परिवर्तनों को दिखाया जाएगा, जो निश्चित रूप से दर्शकों को खूब पसंद आने वाला है।
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