झारखंड में अपार्टमेंट कल्चर बढ़ने के साथ ही बिल्डरों और डेवलपर्स की मनमानी भी बढ़ गई है. बिल्डर्स नियम-कानून को ठेंगा दिखा कर अपार्टमेंट खड़े कर रहे हैं. बिल्डर्स कहीं नदी-तालाब निगल गये, कहीं मास्टर प्लान का उल्लंघन किया, तो कहीं सीएनटी लैंड को हड़प कर बिल्डिंग खड़ी कर रहे हैं. निडर होकर बिल्डर्स गैरकानूनी तरीके से काम कर रहे हैं. इनकी मनमानियों से खरीदार भी परेशान हैं.
झारखंड में 500 से अधिक डेवलपर्स ऐसे हैं, जिन्होंने ग्राहकों से साल-दो साल में फ्लैट हैंडओवर करने का वादा किया था, लेकिन 5 साल बाद भी फ्लैट तैयार ही नहीं हुआ है. वहीं सिर्फ राजधानी रांची में 547 लोगों ने अवैध नक्शे पर कंस्ट्रक्शन कर दिया है. इनमें से 47 हाउसिंग सोसाइटी हैं.
बिल्डिंग, बिल्डरों और बिल्डिंग के नक्शे पर निगरानी रखने वाली रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) और रांची रिजनल डेवलमेंट अथॉरिटी (आरआरडी) लगातार ऐसे डेवलपर्स पर कार्रवाई कर रही है. उन्हें कई बार नोटिस भेजा गया. प्रोजेक्ट्स रद्द कर दिया गये. कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी गई, लेकिन यह सब सिर्फ कागजों में हुआ है. साइट पर अब भी काम जारी है.
रेरा की कार्रवाई
शहरी क्षेत्र में किसी भी कामर्शियल बिल्डिंग के निर्माण के लिए प्रोजेक्ट को झारेरा से रजिस्टर्ड होना जरूरी है. डेढ़ हजार से अधिक बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए रेरा को आवेदन दिया, लेकिन उनमें से 304 बिल्डर रजिस्ट्रेशन के लिए मांगे गये तमाम डाक्यूमेंट जमा ही नहीं कर पाये. रेरा ने इन सभी प्रोजेक्ट्स को रिजेक्ट कर दिया है इसके बावजूद उन प्रोजेक्ट्स का काम जारी है. कई अपार्टमेंट तो बन भी गए और लोग उसमें रहने लगे हैं.
रेरा ने अब प्रोजेक्ट में देर करने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई करना शुरू कर दी है. सभी बिल्डरों को हर तीन महीने में प्रोजेक्ट का रिपोर्ट सौंपने का नियम अनिवार्य कर दिया है. खरीदारों से पैसे लेने के बाद भी सैकड़ों बिल्डर्स धीमी गति से काम कर रहे हैं. पिछले एक हफ्ते में ऐसे ही 51 बिल्डरों पर रेरा ने कार्रवाई की है. उनपर 37.5 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है. इनमें रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो, चाईबासा और सरायकेला समेत कई जिलों के बिल्डर्स शामिल हैं. जिनपर जुर्माना लगाये गये हैं उनमें 24 बड़े प्रोजेक्ट्स शामिल हैं.
मास्टर प्लान और बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ा दी
आरआरडीए क्षेत्र में डेवलपर्स की मनमानी चरम पर है. रांची मास्टर प्लान क्षेत्र में बिल्डरों ने बिल्डिंग बाईलॉज की धज्जियां उड़ाकर रख दी है. अवैध ले-आउट पर इमारत और हाउसिंग सोसाइटी खड़ी कर रहे हैं. रांची के अंदर और बाहरी क्षेत्र में 573 लोगों ने अवैध ले-आउट पर फ्लैट और मकान बनाए हैं. इनमें से 308 इमारतों का कामर्शियल इस्तेमाल हो रहा है, जबकि 265 का रेजिडेंशियल यूज हो रहा है. अवैध ले आउट पर 48 अवैध वेयर हाउस भी चल रहे हैं.
बीएमडबल्यू, ह्युंडई समेत 10 वाहनों के शोरूम भी अवैध ले-आउट पर बने हुए हैं. 7 पेट्रोलपंप और 27 बैंक्वेट हॉल भी अवैध हैं. बिल्डरों ने भू-माफिया के साथ मिल कर 163 जलाशयों को भी गायब कर दिया है. 123 वॉटर बॉडीज पर मकान बन गये हैं, जबकि 23 वॉटर बॉडीज पर बने मकानों का कामर्शियल यूज हो रहा है. आरआरडीए ने ऐसे सभी डेवलपर्स को नोटिस भेजा है और प्रोजेक्ट को रोकने को कहा है, लेकिन अधिकांश प्रोजेक्ट कंप्लीट हो चुके हैं. आरआरडीए ने 7 हाउसिंग सोसाइटी के सामने बोर्ड भी लगाया है. इसके बावजूद वहां धडल्ले से प्लॉट की खरीद-बिक्री हो रही है.
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