आंदोलनकारियों ने कहा, “झारखंड पर पहला हक आंदोलनकारियों का, सरकार आंदोलनकारियों के लिए विधान बनाए”
रांची 12 नवम्बर : हरे-लाल झंडों से लैस हज़ारों की संख्या में झारखंड आंदोनलाकारी आज पारंपरिक साज-सज्जा के साथ विधानसभा मैदान पहुंचे और कहा विधान सिर्फ़ कंपनियों के लिए बना, तो उलगुलान 2 तय है, जो केंद्र और झारखंड सरकार के लिए महंगा साबित होगा। झारखंड गुजरात,उतर प्रदेश और मध्यप्रदेश नहीं है, जो हमारे सर पर चढ़ेंगे और झारखंडी यूं ही सह लेंगे। धैर्य की परीक्षा लेने के बजाय झारखंड की सांस्कृतिक पहचान, परम्परा और सम्पदा की रक्षा करने की सरकार गारंटी दे।
तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में सूचना-प्रसार की गारंटी सुनिश्चित हो
आंदोलनकारियों ने कहा, “राज्य में प्रवेश के साथ आम लोग यह समझ सकें कि वे बिरसा की धरती झारखंड में हैं। इसके लिए रेलवे, दूर संचार कंपनियां, नागपुरी, संथाली, खोरठा समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में सूचना-प्रसार की गारंटी सुनिश्चित करें। साथ ही सभी प्रमंडलों में झारखंड आंदोलनकारी कोरिडोर और स्मारक निर्माण कराने की गारंटी भी हो। बृहद झारखंड के बजाय हम बेहतर झारखंड के निर्माण के लिए आज प्रतिबद्ध हैं। इस कार्य को झारखंड आन्दोलन उलगुलान 2 के माध्यम से पूरा करेंगे। हर झारखंड आंदोलकारी आगे आएं झारखंड आन्दोलन उलगुलन 2 में जो आंदोलनकारी शहीद होगें आंदोलनकारियो की सरकार बनी तो सीधी नौकरी और 50 हजार सम्मान राशी प्रतिमाह भूगतान की गारंटी करेगी।
महाजुटान कार्यक्रम की शुरूआत…
आंदोलनकारियों के महाजुटान कार्यक्रम की शुरूआत पदमश्री मुकुंद नायक और मधु मंसूरी की जनगीत ‘झारखंड आवी कैसे आपन राज’ से हुई। सर्वप्रथम झारखंड आन्दोलन के शहीदों जयपाल सिंह मुंडा, एन ई होरो, निर्मल महतो, ए. के राय, विनोद बिहारी महतो, सहयोगी फादर तिलोस्फर टोपो, देवेंद्र मांझी, रामदयाल मुंडा, बीपी केसरी, महेन्द्र सिंह समेत आन्दोलन के सहयोगी आर्च बिशप पी. तिलोस्फर टोपो को एक मिनट की मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई। तत्पश्चात महाजुटान सभा की, शुरुआत जिसे पूर्व सांसद और आंदोलनकारी भुवनेश्वर मेहता, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप, जल जंगल जमीन की लड़ाकू नेत्री दयामणि बारला,
वरिष्ठ पत्रकार और आंदोलनकारी अनुज कुमार सिन्हा, कोलेश्वर सोरेन, चंद्रनाथ भाई पटेल, काशीनाथ केवट, मोर्चा के अध्यक्ष विदेशी महतो, संस्थापक पुष्कर महतो, झारखंड आंदोलनकारी भुवनेश्वर केवट, इजहार राही, जितेंद्र सिंह, असफाक अंसारी, रोजलिन तिर्की, सीताराम उरांव सरोजनी कच्छप प्रफुल तत्वा, करमचंद गांधी, अली हसन, दिनेश राम समेत कई आंदोलनकारियों ने संबोधित किया।
सात वरिष्ठ आंदोलनकारियों को सम्मान-पत्र और पौधे देकर सम्मानित किया गया
झारखंड आन्दोलन के सात वरिष्ठ आंदोलनकारियों को सम्मान-पत्र और पौधे देकर सम्मानित किया गया, जिसमें अलफ्रेंड आइंद, बद्री सिंह, सेख रहमान, जगत महतो, चंद्रधान महतो, गोरांग रॉय, मदन मोहन महतो महेरजन बीबी, बीपी नंदी समेतकई आंदोलनकारी शामिल हैं। भीख नहीं अधिकार चाहिए जीने का अधिकार चाहिए, लड़े हैं और लडेंगे, हम अपना अधिकार लेके रहेगें, जंगल जमीन खनिज और रोजगार की लूट बंद करो के नारे के साथ राज्य के 22 जिलों से हजारों आंदोलनकारी हरा लाल झंडे के साथ नगाड़ा टमाक और तीर धुनुष के साथ मैदान में पहुंच कर झारखंड आन्दोलन उलगुलान दो का संकल्प लिया।
10 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया
सभा के पश्चात एक 10 सूत्री राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें जेल की बाध्यता खत्म कर आंदोलनकारियों के पहचान की गारंटी करने, झारखंड में जातीय जनगणना अविलंब पुरा कराने, प्रेस की आजादी पर हमला बंद करने, सभी बोर्ड आयोगों में आंदोलनकारियो की भागीदारी सुनिश्चित करने, आंदोलनकारियो को मरने के उपरांत राजकीय सम्मान की गारंटी जीवित आंदोलनकारियो की सम्पूर्ण चिकत्सा की गारंटी, सम्मानजनक पेंशन राशी बढ़ाने, साथ ही एचईसी के मजदूरों की 19 महिने से बकाया मज़दूरी की गारंटी करना शमिल है।
कार्यक्रम में निरंजना हेरेंज सत्य देव राय, अनिल मनोहर, हबूलाल गोराईं समेत कई प्रमुख आंदोलनकारी शमिल थे।
“झारखंड हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण पर रोक के लिए सख्त कार्रवाई करने का दिया निर्देश “
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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