पिछले तीन दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी किए गए दो बयानों ने एक महत्वपूर्ण बिंदु को रेखांकित किया है कि भारत इजरायली धरती पर हमास की तरफ से किए गए “आतंकवाद” के खिलाफ मजबूती से खड़ा है. भारत ने 7 अक्टूबर को इज़रायल पर हमास के हमले को एक स्वर में ‘आतंकवादी हमला’ करार दिया था और पीएम मोदी के अब तक के किसी भी बयान में फिलिस्तीन का उल्लेख नहीं किया गया है.
ऐसा लगता है कि भारत “दो-राज्य समाधान” के बीच अंतर कर रहा है जिसका मोदी सरकार ने अतीत में समर्थन किया है, और हमास द्वारा कायरतापूर्ण आतंकवादी हमला, जिसने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया था. एक सरकारी सूत्र ने न्यूज़18 को बताया, “हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ हैं और इजरायल के साथ हैं. हम तो बस यही कह रहे हैं. कोई भी 7 अक्टूबर की घटनाओं को उचित नहीं ठहरा सकता और न ही ऐसा करना चाहिए, जिसमें नागरिकों की हत्याएं और अपहरण हुए. हमें और अधिक कहने की ज़रूरत नहीं है.”
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ टेलीफोन पर बातचीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी के 10 अक्टूबर के बयान में यह बात जोड़ी गई कि भारत 7 अक्टूबर के हमले के लिए कोई औचित्य स्वीकार नहीं करने के लिए “सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में” आतंकवाद की निंदा करता है. एक दूसरे भारतीय सूत्र ने न्यूज़18 को बताया कि भारत खुद मुंबई में 26/11 हमले जैसी आतंकी घटनाओं का शिकार रहा है, और इसलिए यह हमास के खिलाफ इज़रायल के साथ खड़ा होगा, जो पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के अन्य प्रायोजकों के लिए एक व्यापक संदेश भी देगा.
7 अक्टूबर का हमला 26/11 हमले की याद दिलाता है
सूत्र ने कहा कि हमास ने इजरायल में घुसपैठ करने और हमला करने के लिए हवाई एवं जमीनी बलों में ग्लाइडर का इस्तेमाल किया, नागरिकों को उनके घरों के अंदर और सड़कों पर गोली मार दी गई, जबकि मुंबई में, आतंकवादी समुद्र के रास्ते पाकिस्तान से आए थे. इस मुद्दे पर भारत का रुख प्रमुख पश्चिमी शक्तियों के जैसा ही है, जिन्होंने आतंकवादी संगठन हमास पर हमला बोला है और इजरायल के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है.
‘आतंकवाद’ पर पूरा जोर
7 अक्टूबर को पीएम मोदी के पहले बयान में कहा गया था कि भारत “इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरे सदमे में है… हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ है. हम इस कठिन समय में इज़रायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं.” 10 अक्टूबर को भी पीएम मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात की.
सरकारी बयान में कहा गया है, “पीएम ने इज़रायल में आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप मारे गए और घायल हुए लोगों के प्रति गहरी संवेदना और सहानुभूति व्यक्त की और बताया कि भारत के लोग इस कठिन समय में इज़रायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं. उन्होंने दोहराया कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की दृढ़ता से और स्पष्ट रूप से निंदा करता है.”
इन दोनों बयानों में 7 अक्टूबर को हमास की ओर से इजरायल पर किए गए “आतंकवादी कृत्य” की निंदा पर ध्यान केंद्रित किया गया है. 10 अक्टूबर को “सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद” शब्द जोड़कर, भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. विशेषज्ञों ने इजरायल में हुए इन हमलों को अल-कायदा द्वारा अमेरिका पर किए गए 9/11 हमले के बराबर बताया है.
कांग्रेस नेता, फिलिस्तीन के लिए वकालत करने वाले सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव का हवाला देते हुए बता रहे हैं कि कैसे पीएम मोदी ने 2018 में फिलिस्तीन का दौरा किया और “दो-राज्य समाधान” की वकालत की. हालांकि, भाजपा सरकार स्पष्ट है कि वह वर्तमान में हमास द्वारा इज़रायल पर 7 अक्टूबर के “आतंकी हमले” पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
भारतीय नागरिकों की सुरक्षा
भारतीय बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी ने नेतन्याहू के साथ अपनी बातचीत के दौरान इजरायल में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने पूर्ण सहयोग और समर्थन का आश्वासन दिया है. सरकार ने कहा, “दोनों नेता निकट संपर्क में बने रहने पर सहमत हुए.”
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने भी मंगलवार को प्रधानमंत्री नेतन्याहू से बातचीत के बाद पीएम मोदी के बयान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है. सैकड़ों भारतीय छात्र और नागरिक अभी इज़रायल में हैं और सरकार उनके लिए बचाव प्रयास की योजना बना रही है.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!