वर्तमान समय में किसानों में वैज्ञानिक अवधारणा का होना बहुत जरूरी
दृढ़ इच्छा शक्ति और लगन से खेती करने पर किसानों को जरुर सफलता मिलेगी, यह साबित कर दिखाया है पोटका प्रखंड अंतर्गत टांगराईन गांव का किसान सुनील सिंह मुंडा ने। जहां एक ओर झारखंड के किसान खेती में आमदनी कम होने के कारण रोजी-रोटी की तलाश में बाहर पलायन कर रहे हैं, वहीं यह किसान तीन महीने में हरी सब्जी खेती कर वर्ष भर के लिए रोजी-रोटी जुगाड़ करने में लगा है। ये कहते हैं रूढ़िवादी एवं परंपरावादी होना किसान के स्वभाव की मूल विशेषता है। आज यहां का किसान भाग्यवादी, संकीर्ण, परंपरावादी, अंधविश्वासी होने के कारण उन्नति नहीं कर पा रहा है। वर्तमान समय में किसानों में वैज्ञानिक अवधारणा का होना बहुत जरूरी है।
सालाना आमदनी का लक्ष्य तीन लाख रुपए
किसान सुनील सिंह मुंडा बंगाल के एक कृषि विशेषज्ञ सुदीप महतो से वैज्ञानिक पद्धति में हरी सब्जी खेती करने हेतु सुझाव लेते हैं। किसान सुनील सिंह मुंडा ने व्यापक पैमाने पर लगभग चार एकड़ ऊंची हल्की ढलान जमीन में हरी सब्जी की खेती की है, जिसमें दो एकड़ जमीन में केवल सेम, एक एकड़ जमीन में बरबटी, एक एकड़ जमीन में सिरा झिंगा तथा एक एकड़ जमीन में बैंगन की खेती कर क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हैं। चूंकि खेती बरसात के मौसम में की गई है, अतः सिंचाई का जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि चार एकड़ जमीन पर खेती करने में उनको चौबीस से पच्चीस हजार रुपए खर्च हुए और आमदनी का लक्ष्य तीन लाख रुपए रखा है, जिससे उनका साल भर का भरण पोषण हो जाता है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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