न्यूजक्लिक विवाद के बाद कई पत्रकार संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर इन संगठनों ने कहा है कि वे यह मानते हैं कि वे सब देश के कानून से ऊपर नहीं है। किसी मामले में उनके लिए भी वही नियम-प्रक्रियाये लागू होती हैं जो किसी भी अन्य नागरिकों पर लागू होती है। लेकिन उनकी अपील है कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में दखल देकर उन्हें अकारण प्रताड़ित होने की प्रक्रिया से बचाने हेतु कोई उपाय करें।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया सहित कई संगठनों ने हाल ही में हुई कई घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा है कि उन मामलों में पत्रकारों पर कई गंभीर आरोप लगाए गए जिसके कारण उन्हें कई वर्षों तक कानूनी कार्यवाही का सामना करना पड़ा। जबकि वे बाद में दोषमुक्त करार दिए गए।
न्यूजक्लिक मामले में भी जिन पत्रकारों से पूछताछ हुई है, उनमें से कई पर UAPA की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किए गए हैं। यदि इन धाराओं में केस चला तो बिना दोष साबित हुए भी इन पत्रकारों को जमानत नहीं मिलेगी और उन्हें कुछ महीने या कुछ वर्षों तक अकारण जेल में रहना पड़ सकता है। बाद में दोषमुक्त करार होने की स्थिति में भी इस दौरान उन्हें और उनके परिवार को अकारण अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
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