जिला शहर कांग्रेस कमेटी के नेता आज अर्चना गौतम के ख़िलाफ़ शिकायत लेकर मेरठ पुलिस कप्तान से मिले और अर्चना गौतम पर कड़ी कार्यवाही की मांग की। शिकायत कर्ताओं ने कप्तान को सौंपे पत्र में कहा है कि उन्होंने चुनाव के समय कई गाड़ियां किराये पर ली थीं, लेकिन उनका किराया नहीं दिया था। गाड़ियों के मालिक लगातार जिला और शहर कांग्रेस के पदाधिकारियों से शिकायत करते रहे। हमारे कई पदाधिकारियों ने उनसे सम्पर्क करने की कोशिश की मगर उनसे सम्पर्क नहीं हुआ।
शिकायत पत्र में बताया गया कि कुछ महीनों बाद जब वह (अर्चना गौतम) मेरठ आयीं तो इस संदर्भ में उनसे बात हुई। इस दौरान अर्चना गौतम ने सबको धमकी दी कि उनके सामने कोई दोबारा गाड़ियों के किराए का नाम न ले नहीं तो उत्पीड़न एक्ट में मुकदमा लिखवा जिंदगीभर का मजा चखा दूंगी। शिकायती पत्र में लिखा है कि अर्चना गौतम ने कई महिला कार्यकर्ताओं के साथ भी बदसलूकी की। एक बार मेरठ कार्यालय से अर्चना गौतम और इनके पिता ने दो डब्बे पेंटर और व्हाइट सीमेंट जबरन उठा ले गये। जब उन्हें मना किया गया तो फिर उन्होंने मुक़दमे में फ़साने की धमकी दी।
गौरतलब है कि अर्चना गौतम ने अपने आपको चर्चा में लाने के लिए तिरूपति मंदिर जैसे पवित्र स्थल को भी नहीं छोड़ा। मंदिर परिसर में भी उन्होंने हाई वोल्टेज ड्रामा किया। रायपुर अधिवेशन में भी अर्चना गौतम ने ड्रामेबाज़ी करते हुए पार्टी के एक प्रतिष्ठित नेता के ऊपर झूठा और फ़र्ज़ी मुक़दमा दर्ज करवाया।
मेरठ कांग्रेस द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा है कि अर्चना गौतम यह सोची समझी रणनीति के तहत करतीं हैं। वह राजनीतिक प्लेटफार्म का इस्तेमाल अपनी पब्लिसिटी और पैसा पाने के लिए करती हैं। क्योंकि जैसे ही वह विवादित चर्चा में आती हैं वैसे ही मुंबई में उन्हें कोई न कोई काम मिल जाता है। प्रतिष्ठित लोगों को बदनाम करना, विवाद खड़ा करना उन्होंने अपना पेशा बना लिया है। सिर्फ़ इतना ही नहीं इनके पिता गौतम शहर में अपनी बेटी का धौंस दिखाकर वसूली करने के लिए कुख्यात हैं। उन्होंने कई लोगों से वसूली भी की है। पार्टी के एक बड़े नेता से गौतम ने 5 करोड़ रुपये की मांग की थी।
गौरतलब है कि अर्चना गौतम को अनुशासनहीनता के चलते विगत जून महीने में पार्टी से निकाल दिया गया है। इस वजह से अर्चना गौतम फिर से विवाद खड़ा करने, फ़र्ज़ी मामला बनाने की साज़िश रच रही हैं। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि मेरठ पुलिस प्रशासन के अंदर का कोई अधिकारी या कार्मिक कुछ मिली भगत या गौतम की मदद करता है। ध्यान देने की बात है कि अपने महिला होने और दलित उत्पीड़न के नाम पर लोगों को झूठे मुकदमे में फंसाने के कृत्य छत्तीसगढ़ की घटना को न्यायिक क्षेत्र न होने के बावजूद मेरठ में दर्ज होने पर हाई कोर्ट ने नाराज़गी व्यक्त की थी, जांच और चार्जशीट पर रोक लगाई थी और मुकदमा मेरठ से ट्रांसफ़र हो गया था।
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