कर्मा पूजा, झारखंड राज्य का प्रमुख और प्रसिद्ध त्योहार है, जिसे झारखंड के आदिवासी समुदायों के बीच धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार की महत्वपूर्ण कथा और उसका महत्व झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है।
कर्मा पूजा का आयोजन आदिवासी समुदाय के सदस्यों के द्वारा विशेष ध्यान और आदर्शों के साथ किया जाता है। इसे अक्टूबर-नवम्बर के महीनों में मनाया जाता है, जब प्राकृतिक सौंदर्य की खुदाई का समय आता है और खेतों में उपजाऊ फसलें पकती हैं।
पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी प्राचीन कथा
कर्मा पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा उसकी प्राचीन कथा है, जिसमें कहा जाता है कि यह पूजा आदिवासी समुदाय के लोगों के जीवन के साथ उनके खेतों और फसलों की रक्षा के लिए भगवान कर्मा की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा की जाती थी। इस पर्व के दौरान, लोग अपने परंपरागत धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों का पालन करते हैं और भगवान कर्मा की पूजा करते हैं।
पूजा के दौरान, आदिवासी गांवों में लोग खुशियों के साथ एक साथ आकर्षणीय नृत्य और गीतों के माध्यम से उत्सव मनाते हैं। इसके साथ ही, विभिन्न प्रकार की पारंपरिक खाने-पीने की व्यवस्था भी होती है, जिसमें स्थानीय विशेषताएँ और आदिवासी खाने के पदार्थ शामिल होते हैं।
कर्मा पूजा झारखंड के आदिवासी समुदायों के लिए उनकी प्राचीन आस्था, संस्कृति, और सामाजिक सांघगत्य का प्रतीक है और इसके माध्यम से वे अपने धर्मिक मूल्यों और संस्कृति को जीवंत रखते हैं। इसका महत्व झारखंड की आदिवासी समुदायों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो इसे गर्मजोशी और आत्मानुषासन से मनाते हैं।
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