जमशेदपुर स्थित स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट के नाम से फर्जी ट्रस्ट खोलकर केंद्रीय जनजाति विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए 42 लाख रुपए के गबन से जुड़े 20 साल पुराने मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में मंगलवार को गबन मामले की सीबीआई जांच को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद सीबीआई जांच का आदेश दिया।
गबन से जुड़ी याचिका स्वामी विकेकानंद सेवा ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई थी। अदालत ने राज्य सरकार से मामले की सीबीआई जांच पर मंतव्य मांगा था, जिस पर राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया कि हमें सीबीआई जांच को लेकर कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की पूरी जांच नये सिरे से करने का निर्देश दिया। आदेश के आलोक में सीबीआई जल्द ही मामले को अपने हाथ में लेगी। गबन साल 2002-03 में किया गया था।
क्या है मामला ?
जमशेदपुर में स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट के द्वारा आदिवासी बालिकाओं के लिए हॉस्टल चलाया जा रहा था। इसके संचालन के लिए केंद्रीय जनजाति विकास विभाग (मंत्रालय) ट्रस्ट को पैसे देता था। साल 2002-03 में विभाग ने ट्रस्ट को 42 लाख रुपए आवंटित किए थे, लेकिन ट्रस्ट के सचिव रहे सरोज दास ने साजिश रचकर मिलता-जुलता नाम सिर्फ सेवा हटाकर स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट का गठन किया।
पूर्व परिचित होने के कारण दिल्ली जाकर मिलीभगत कर विभाग से आवंटित 42 लाख रुपए अपने ट्रस्ट के खाते में डलवा लिया। जब गबन प्रकाश में आया तो जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाने में केस दर्ज किया गया, लेकिन पुलिस की जांच में मामले को रफा-दफा कर दिया गया। इसके बाद केंद्र ने राज्य सरकार को जांच के लिए लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
इसके बाद पुरानी वास्तविक ट्रस्ट स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट ने मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। सुनवाई के पश्चात मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पांडे नीरज राय ने पक्ष रखा।
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