महिला आरक्षण बिल को लेकर स्थिति लगभग साफ होती नजर आ रही है। खबर है कि सरकार मंगलवार को ही संसद में बिल पेश कर सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। सोमवार को कैबिनेट बैठक में विधेयक पर मुहर लगा दी गई थी। इधर, महिला आरक्षण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में होड़ लगती नजर आ रही है।
आगे का रास्ता
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की ओर से बिल पेश किया जाएगा। मंगलवार को पेश होने के बाद इसपर बुधवार को बहस होगी और पारित कराया जाएगा। संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन यानी 21 तारीख को यह बिल राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
खास बात है कि मंगलवार से ही विशेष सत्र नए संसद भवन में पहुंच रहा है। ऐसे में अगर सरकार महिला आरक्षण बिल आज पेश कर देती है, तो नई संसद में पेश होने वाला यह पहला बिल होगा। हालांकि, यह बिल करीब 27 सालों से लंबित है और कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार ने साल 2010 में इसे राज्यसभा में पास करा लिया था।
बिल पास करने में नहीं होगी मुश्किल
फिलहाल, इस संभावित बिल पर कांग्रेस समेत कई बड़े विपक्षी दल भारी समर्थन दे रहे हैं। यहां तक कि विपक्ष लगातार सरकार से बिल को सदन में जल्द से जल्द पेश करने की तक मांग कर रहा है। ऐसे में इस विधेयक को संसद में पास होने में कठिनाई का सामना नहीं करना होगा। इसे पहले यह बिल करीब 4 बास संसद तक पहुंच चुका है।
विधेयक में क्या?
इस विधेयक में महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि मोदी सरकार राज्यसभा और विधान परिषदों को भी इसके दायरे में ला सकती है। हालांकि, इसे लेकर सरकार ने जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। 2010 में UPA काल में राज्यसभा में पेश बिल में महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण देने की बात कही गई थी।
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