देश में ईसाईयों को लेकर लोगों की मानसिकता में बदलाव देखने को मिल रहा है। उनके प्रति हिंसा के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। झारखंड सहित देशभर में इस साल के अगस्त तक ईसाईयों के खिलाफ हिंसा की 525 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ईसाईयों को अब न केवल धमकियां मिल रही हैं, बल्कि उन्हें आधारभूत सुविधाओं से भी वंचित कर दिया जा रहा है। उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है। अकेले झारखंड में सामाजिक बहिष्कार के 54 मामले दर्ज हैं। इस सूची में सबसे पहले उत्तर प्रदेश है।
ऐसा हम नहीं बल्कि यूनाईटेड क्रिश्चियन फोरम के आंकड़े बता रहे हैं। यूनाईटेड क्रिश्चियन फोरम के प्रमुख ए.सी माइकल ने आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि कैसे उत्तर भारत के राज्यों में ईसाई धर्मावलंबियों की स्थिति ठीक नहीं है। फोरम का मानना है कि इन राज्यों में ईसाईयों को लेकर गलत धारणा है।
साल 2023 में देश में दर्ज मामले
- जनवरी में 62
- फरवरी में 63
- मार्च में 66
- अप्रैल में 47
- मई में 50
- जून में 89
- जुलाई में 80
- अगस्त में 68
ये 13 जिले ईसाईयों के लिए खतरनाक
छत्तीसगढ़ के दो जिले
- बस्तर में 51 घटनाएं हुई
- कोंडागांव में 14 घटनाएं हुई
उत्तर प्रदेश के 10 जिले
- आजमगढ़ 14 घटनाएं हुई
- जौनपुर 13 घटनाएं हुई
- रायबरेली 13 घटनाएं हुई
- सीतापुर 13 घटनाएं हुई
- कपूरपुर 12 घटनाएं हुई
- हरदोई 10 घटनाएं हुई
- महाराजगंज 10 घटनाएं हुई
- कुशीनगर 10 घटनाएं हुई
- मऊ 10 घटनाएं हुई
- गाजीपुर 09 घटनाएं हुई
झारखंड का एक जिला
- रांची 09 घटनाएं हुई
उत्तर भारत के तीन राज्य, जहां हुई सर्वाधिक घटनाएं
- उत्तर प्रदेश : 211
- छत्तीसगढ़ : 118
- हरियाणा : 39
साल-दर-साल बढ़ते गए आंकड़े
ईसाईयों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसक घटना में साल दर साल बढ़ोत्तरी ही हुई है। यूनाईटेड क्रिश्चियन फोरम के आंकड़े बताते हैं कि जहां साल 2014 में ईसाईयों के खिलाफ हिंसा की 147 घटनाएं घटी, वहीं यह आंकड़ा लगभग 10 साल में लगभग चार गुणा पार कर गया है। फोरम की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते हैं कि
- 2014 में 147 घटनाएं
- 2015 में 177 घटनाएं
- 2016 में 208 घटनाएं
- 2017 में 240 घटनाएं
- 2018 में 292 घटनाएं
- 2019 में 328 घटनाएं
- 2020 में 279 घटनाएं
- 2021 में 599 घटनाएं
- 2023 के पहले आठ महीने में 525 घटनाएं घटी
धर्मांतरण के नाम पर हुई हिंसा
यूनाईटेड क्रिश्चियन फोरम के मुताबिक ईसाईयों के खिलाफ जो भी हिंसक घटनाएं हुई हैं, वह अनियंत्रित भीड़ द्वारा की गई है। जबरन धर्मांतरण के नाम पर यह हिंसा हुई है। फोरम के मुताबिक 520 ईसाई समुदाय के लोगों को इन राज्यों में जबरन धर्मांतरण कराने के नाम पर प्रताड़ित किया गया। उन पर झूठे मामले दर्ज कराए गए हैं। ऐसे लोगों का सामाजिक बहिष्कार भी होता है। सामाजिक बहिष्कार के मामले में झारखंड और छत्तीसगढ़ आगे हैं। इन राज्यों में सामाजिक बहिष्कार के 54 मामले दर्ज हुए हैं।
बुनियादी सुविधाओं से भी किया गया वंचित
फोरम की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार न केवल ईसाईयों को सामाजिक बहिष्कार झेलना होता है बल्कि पीड़ितों को गांव के पानी के स्रोत, आम सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी अलग कर दिया जाता है। उन्हें खेतों में लगी फसल काटने से रोका जाता है। फोरम के मुताबिक इस साल दिल्ली एनसीआर में भी ईसाईयों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं देखी गईं। जिसमें चार मामले दर्ज किए गए। जिन पर मामले दर्ज किए गए वे प्रार्थना कर रहे थे। स्थिति ऐसी है कि अब उन्हें प्रार्थना सभाएं खत्म करने के लिए धमकियां दी जा रही हैं। इस रिपोर्ट में मणिपुर शामिल नहीं है।
क्या कहते हैं यूसीएफ प्रमुख
इस संबंध में दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए यूनाईटेड क्रिश्चियन फोरम के प्रमुख एमसी माईकल कहते हैं कि ईसाईयों पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया जाता रहा है पर आश्चर्यवाली बात यह है कि देश भर के किसी भी थाने में कोई ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया जिसका धर्मांतरण किया गया हो। उन्होंने कहा कि अगर ईसाई लोगों का धर्मांतरण करा रहे होते तो आज जनगणना में हमारी संख्या अधिक होती। जबकि ऐसा नहीं है। ईसाईयों के प्रति व्यवहार में परिवर्तन सोचने वाली बात है। इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर कर रखी है।
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