आंध्र प्रदेश के तेलुगू देशक पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को 371 करोड़ के कथित घोटाले मामले में 23 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इससे पहले उन्हें विजयवाड़ा की भ्रष्टाचार निरोधक अदालत (ACB) में पेश किया गया, जहां जज ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत मंजूर कर ली। अब उन्हें राजमुंदरी जेल में रखा जाएगा।
अदालत में सात घंटे चली बहस
सुप्रीम कोर्ट के वकील सिद्धार्थ लूथरा की अगुवाई में वकीलों की एक टीम और सीआईडी के वकीलों के बीच अदालत में करीब सात घंटे बहस चली। सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत को बताया कि नायडू को झूठे केस में फंसाया गया है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के संदर्भ में कानूनी तकनीक का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि कोई ठोस आरोप नहीं है और अदालत से अभियोजन एजेंसी की रिमांड रिपोर्ट को खारिज करने का अनुरोध किया।
वकीलों ने यह भी कहा कि जिस समय अपराध हुआ, उस समय नायडू राज्य के मुख्यमंत्री थे। इसलिए जांच की मंजूरी वही दे सकता है जो मुख्यमंत्री को हटा सकता है। आंध्र प्रदेश के राज्यपाल की जांच को मंजूर कर सकते हैं। अभियोजन पक्ष ने ऐसा नहीं किया था और इसलिए यह एक वैधानिक उल्लंघन है और इसलिए रिमांड को खारिज कर दिया जाना चाहिए।
Andhra Pradesh | Vijayawada ACB court sends TDP Chief and former CM Chandrababu Naidu to 14-day judicial custody in connection with alleged skill development scam.
— ANI (@ANI) September 10, 2023
जांच में सहयोग नहीं कर रहे नायडू
आंध्र प्रदेश पुलिस के अपराध जांच विभाग ने कहा कि 73 साल के नायडू पूछताछ के दौरान सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने अस्पष्ट उत्तर देते हुए कहा कि उन्हें कुछ मुद्दे याद नहीं हैं। उनसे उन फाइलों के आधार पर सवाल पूछे गए जो इस केस डायरी में साक्ष्य का हिस्सा हैं। लेकिन, सभी सवालों के जवाब में उन्होंने सहयोग नहीं किया और अस्पष्ट जवाब दिया कि उन्हें तथ्य याद नहीं हैं। अंत में कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया। नायडू शनिवार को नंदयाला में उस समय गिरफ्तार हुए थे, जब वे सो रहे थे।
सुबह करीब चार बजे तक चली पूछताछ
कुंचनपली में सीआईडी की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम कार्यालय में चंद्रबाबू नायडू से करीब 10 घंटे लंबी पूछताछ हुई। इसके बाद सुबह 3:40 बजे उन्हें मेडिकल परीक्षण के लिए विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। जहां करीब 50 मिनट चले परीक्षण के बाद उन्हें वापस लाया गया।
चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में हुई है। आरोप है कि इस घोटाले से सरकारी खजाने को 371 करोड़ का नुकसान हुआ है। मामले में चंद्रबाबू नायडू को मुख्य साजिशकर्ता बनाया गया है।
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