इंजीनियरों और कर्मचारियों पिछले 18 महीने से वेतन आदि का भुगतान नहीं !
केंद्रीय ट्रेड यूनियन, कर्मचारियों के स्वतंत्र यूनियन एवं फेडरेशनों का संयुक्त मंच, उन इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, संचार विशेषज्ञों आदि की टीम को सलाम करता है, जिन्होंने मिशन चंद्रयान-3 को सफल बनाया। उनके समर्पित काम ने भविष्य में भारत को कई क्षेत्रों में अग्रणी बनने की असीम संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
हालाँकि जैसे-जैसे मिशन चंद्रयान-3 का समग्र प्रकरण हमारे सामने उजागर होता है, कई अनचाहे एवं हृदय विदारक मुद्दे उजागर हो रहे हैं, उदाहरण के तौर पर, उद्योगों की जननी माने जाने वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम भारी अभियंत्रण निगम (एचईसी), रांची, झारखंड के इंजीनियर और कर्मचारी, जिनके पास चंद्रयान का लॉन्चिंग पैड और अन्य सहायक उपकरणों के डिजाइन और निर्माण की साख है, उन्हें पिछले 18 महीने से वेतन आदि का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
2023 में इसरो के बजट आवंटन में 8% की भारी कटौती
झारखंड का दूसरा महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम मेकॉन, जो मिशन के कई उपकरणों को डिजाइन करने में अग्रणी संगठन है, वह भी संकट में है क्योंकि इस प्रतिष्ठित संगठन के लिए, न ही कोई पुनरुद्धार योजना बनाई जा रही है और न ही तदनुसार कोई विशेष फंड का आवंटन किया जा रहा है। चंद्रयान-3 परियोजना के लिए जो संचार महत्वपूर्ण था, उसे विशेष रूप से बीएसएनएल, एक अन्य सार्वजनिक उपक्रम द्वारा नियंत्रित किया गया है , जिसका केंद्र सरकार द्वारा जानबूझकर गला घोंट दिया गया है । और तो और 2023 में इसरो के बजट आवंटन में 8% की भारी कटौती की गई। यहां तक कि इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के प्रोत्साहन और पदोन्नति के बारे में भी कई शिकायतें हैं।
जिन पर कोविड काल के दौरान फूल बरसाए गए थे और आज वे अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं
सरकार के अन्य बड़े मिशनों की तरह इस पूरे प्रोजेक्ट का संचालन भी सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा किया जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। वास्तव में भारत में सार्वजनिक उपक्रमों की स्थापना व्यापक और दीर्घकालिक सार्वजनिक हित के साथ इसलिए भी की गई थी, क्योंकि उनका अंतिम उत्पादन उच्च निवेश के साथ साथ के लंबे अंतराल के उपरांत हुआ करता है जिसमें निजी क्षेत्र निवेश करने के लिए तैयार नहीं था क्योंकि वे त्वरित सुनिश्चित लाभ चाहते थे। यह पूरी गाथा उन कोविड फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं से मिलती जुलती है, जिन पर कोविड काल के दौरान फूल बरसाए गए थे और आज वे अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
फिजूलखर्ची वाले अवांछित प्रचार और अन्य विलासितापूर्ण खर्चों को बंद करने की आवश्यकता
क्या हमारे प्रधान मंत्री यह स्वीकार करने से इनकार कर सकते हैं कि यह सार्वजनिक क्षेत्र ही है जो हमारे देश की रीढ़ है जो देश को स्वस्थ बच्चों के पालन-पोषण से लेकर अंतरिक्ष की खोज तक में सक्षम बनाता है ! चंद्रयान की सफलता ने हमें यह एहसास दिलाया है कि इन सार्वजनिक उपक्रमों को लूटने और बर्बाद करने की कीमत पर फिजूलखर्ची वाले अवांछित प्रचार और अन्य विलासितापूर्ण खर्चों को, वास्तविक राष्ट्रवाद और सच्चे देशभक्ति के कार्य के रूप में तुरंत बंद करने की आवश्यकता है।
मांग
ट्रेड यूनियनों का संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार एचईसी के लिए आवश्यक कार्यशील पूंजी और एचईसी कर्मचारियों के सभी वैध बकाए के लिए पर्याप्त धनराशि तुरंत जारी करने की मांग की है। इसके साथ ही मंच राष्ट्रीय हित के लिए ऐसे सभी प्रमुख और रणनीतिक सार्वजनिक उपक्रमों के पुनरुद्धार की भी मांग करता है और इसरो के साथ-साथ अन्य इकाइयों के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों के लिए आवश्यक पदोन्नति और प्रेरक कदमों की मांग करता है, जिन्होंने इस चंद्रयान परियोजना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।. राष्ट्र की ऐतिहासिक सफलता का जश्न मनाने का यही एकमात्र तरीका होगा।’
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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